पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/२७४

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२८७ नालन्दा विश्व विद्यालय मिला है। फाहियान ने (सन् १५८ के लगभग) नालन्दा का कोई उल्लेख नहीं किया है। उसने 'नालो' नामक एक स्थान का जिक्र किया है, जिसे कुछ लोग 'नालन्दा' का ही रूपान्तर समझते हैं। जो हो, यह तो स्पष्ट है कि उस समय नालन्दा में कोई ऐसा विशेष महत्व न होगा, जो फाहियान कोआकृष्ट करता । विक्रम की सातवीं सदी (सम्बत् ६५७-७०३) में हुएनत्संग आया था। उस समय नालन्दा महत्व और ख्याति की पराकाष्ठा को पहुँचा हुआ था, इस बात के आधार पर यह अनुमान किया जाता है कि नालन्दा महा- बिहार की स्थापना फाहियान के आने के बाद और हुएनत्संग के आने के पहले हुई थी-पाँचवीं और सातवीं सदी के बीच में। कनिंघम और स्पूनर ने पाँचवीं ईसवी सदी के मध्य में इसकी स्थापना का समय निश्चित किया है । मगध के राजा बालादित्य, जिन्होंने नालन्दा में एक उच्च बिहार का निर्माण कराया था। हूणाधिपति मिहिरकुल के समकालीन थे। मिहिरकुल सम्वत् ५७२ (सन् ५१५ ई०) में राज्य करता था। इसलिये बालादित्य का भी समय यही हुआ । विसेन्ट स्मिथ के अनुसार बालादित्य का भी राज्य काल सन् ४६७ ई० से ४७३ तक होना चाहिये । बाला- दित्य के पहले उनके तीन पूर्वजों ने भी यहाँ संघाराम बनवाये थे, और उनमें शक्रादित्य सर्वप्रथम थे। इस तरह नालन्दा-महाबिहार की स्थापना का समय विक्रम की पाँचवीं सदी के उत्तरार्द्ध में जान पड़ता है। पर मेरा अनुमान तो यह है कि नालन्दा में बुद्ध के निर्वाण के कुछ समय बाद विश्व-विद्यालय की न सही, पर किसी