पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/९३

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बुद्ध और बौद्ध-धर्म ६० परभाव में निज स्वभाव कुछ नहीं है, अथवा अपने-आप रहने की शक्ति है । स्वभाव और परभाव सापेक्ष हैं, स्वतन्त्र नहीं। तथागत न शून्य है न अशून्य है, और न एक है न दोनों। उनका नाम केवल संवृत्तिक है। निर्वाण अवस्था में चार प्रकार के शब्द- 'स्थाई', 'अस्थाई', 'दोनों' 'एक भी नहीं नहीं रह सकते । तथा- गत स्वभाव से अनिरुद्ध है। मृत्यु के बाद बुद्ध का अस्तित्व है कि नहीं, इस बात का विचार नहीं हो सकता ।