२१८ बृहदारण्यकोपनिपद् स० अरे हे नियमैत्रेयि ! । जायायै जाया की। कामाय-कामना के लिये । जाया स्त्री । प्रिया-प्यारी । न भवति नहीं होती है। तु-किन्तु । वै-निश्चय करके। आत्मनः अपने यानी पति के प्रास्मा की । कामाय-कामना के लिये । सायासी । प्रिया प्यारी । भवति होती है। अरे है प्रियमैत्रेयि !। पुत्राणाम्= पुत्रों की । कामाय-कामना के लिये । पुत्राः पुत्र। प्रिया: प्यारे । न भवन्ति नहीं होते हैं । तु-किन्तु । वै-निश्चय करके। आत्मनाथपने यानी माता पिता के प्रारमा की। कामाय% कामना के लिये । पुत्राःलड़के । प्रिया-प्यारे । भवन्ति= होते हैं । अरे है प्रियमैत्रेयि !। वित्तस्य-धन की। कामाय% कामना के लिये । वित्तम्-धन । प्रियम्-प्यारा । न भवति- नहीं होता है। तु-किन्तु । वै-निश्चय करके । आत्मनः=धपने यानी धनी की प्रारमा की। कामाय-कामना के लिये । चित्तम् धन । प्रियम्-प्यारा । भवति होता है । अरे है प्रियमैत्रेयि !। ब्रह्मण-ब्राह्मण की । कामायकामना के लिये । ब्रह्म-ग्रामण । प्रियम्-प्यारा । न भवति-नहीं होता है । तु-किन्तु । चै- निश्चय करके । श्रात्मनः-चपने यानी यजमान के घारमा की । कामाय-कामना के लिये । ब्रह्मधामण । प्रियम्-प्यारा । भवति होता है । अरे हे नियमैत्रेयि ! नत्रस्य-क्षत्रिय की। कामाय-कामना के लिये । क्षत्रम् क्षत्रिय । प्रियम्=प्यारा । न भवति-नहीं होता है । तु-किन्तु । चै-निश्चय करके । आत्मना-अपने यानी पालनीय की यात्मा की । कामाय- कामना के लिये । क्षत्रम्-क्षत्रिय । प्रियम्-प्यारा । भवति- होता है । अरे हे प्रियमैत्रेयि ! लोकानाम्-लोगों को । कामाय-कामना के लिये । लोका-जोग । प्रिया-प्यारे । न भवति-नहीं होते हैं । तु-किन्तु । वैनिश्चय करके !
पृष्ठ:बृहदारण्यकोपनिषद् सटीक.djvu/२३४
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