अध्याय ३ ब्राह्मण ६ ३२७ + गार्गि- गार्गि। नक्षत्रलोकेपु-नक्षत्रलोकों में वह श्रोत प्रोत है। इति-ऐसा उत्तर पाने पर । सा-यह गार्गी । उवाच योलो। नक्षत्रलोकानसत्र लोक । कस्मिन् किसमें । श्रोता: भोत । च-और । प्रोता: चप्रोत है। इति-ऐसा प्रश्न होने पर । याज्ञवल्क्यःयाज्ञवल्क्य ने । आह उत्तर दिया । गार्गि- है गाणि! देवलोकेपु-देवताकों में वह प्रोत प्रोत हैं। इति यह मुनकर । गार्गीगार्गी ने । पुनः पप्रच्छ-फिर पूछा । कस्मिन्नु किममें । खलु-निश्चय करके । देवलोकाः देवलोक । श्रोता:-योत । चम्चौर । प्रोता चन्मोत हैं । इति इसपर । + साम्बा याज्ञवल्क्य । उवाच-घोला । गार्गि-हे गार्गि!। इन्द्रलोकपु-इन्त्रलोकों में वह श्रोत प्रोत हैं । इति-ऐसा उत्तर पाने पर । गार्गी गार्गो ने। + पुनः फिर । पप्रच्छ-पछा । कस्मिन्-किसमें । नु खलु-निश्चय करके । इन्द्रलोकाः इन्द्र- लोक । श्रोताम्योत । चौर । प्रोता: च-प्रोत हैं। इति- यह सुनकर । यात्रवल्फ्यः याज्ञवल्क्य ने ।+ उवाच-कहा। गागि हे गागि! प्रजापतिलोकेपु-प्रजापति लोकों में वह श्रोत प्रोन है । इति यह सुनकर । गार्गी-गार्गी । + उवाच-बोली। प्रजापतिलोकाः प्रजापति लोक । कस्मिन् किसमें । नु खलु निश्चय करके । श्रोता-धोत । चौर । प्रोता: च-प्रोत हैं। इति-पेसा प्रश्न सुनकर । + सत्रह याज्ञवल्क्य । उवाच- योले । गागिन्दे गार्गि ! ब्रह्मलोकेपु-ब्रह्म लोकों में वह श्रोत प्रोत है। इति-ऐसा उत्तर पाने पर । गार्गी-गार्गी । उवाच- चोली । ब्रह्मलोका:प्रमलोक । कस्मिन्-किसमें । श्रोता:- भोत्ताच-और प्रोता:च-प्रोत हैं । इति-ऐसा प्रश्न होने पर । + यानवल्क्याम्याज्ञवल्क्य । हस्पष्ट । उचाच-कहते भये कि । गागि- गार्गि ! । मान्मत ।मा-मुझ से । अतिप्राक्षी:-
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