पृष्ठ:बेकन-विचाररत्नावली.djvu/१०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(९६)
बेकन-विचाररत्नावली।

कम कर देते हैं। यही कारण है, कि राजामें और उनमें अतिशय स्नेह होताहै। यह न समझना चाहिए, कि जो राजा विषयी और राजकाजमें अकुशल होते हैं, उन्हीको इस प्रकारके मित्रों की आवश्यकता पड़ती है। नहीं; आजपर्यन्त अनेक दूरदर्शी और विशालबुद्धि राजाओंने भी, अपने नौकरोंमेंसे, किसी न किसीसे मैत्री सम्पादनकी है; और ऐसा करके उनको उन्होंने मित्र कहकर स्वयं पुकारा है, और दूसरोंसेभी ऐसाही सम्बोधन कराया है।

जिस समय रोमनगरका अधिपति सीला था, उस समय उसने पाम्पीनामक एक मनुष्यको(जो पीछेसे "बड़े पाम्पीके" नामसे प्रसिद्ध हुआ) इतने ऊंचे पदपर चढ़ा दिया था कि, वह अपनेको सीलासेभी अधिक प्रतिष्ठित होनेका गर्व हांकने लगा। एकबार रोमके प्रधान अधिकारी कानसलका पद खाली हुआ। उस पदको अपने एक मित्रको दिलवाने के लिए सीलाकी इच्छाके विरुद्ध पाम्पी प्रयत्न करने लगा और अन्तमें उसे दिलवाही तो दिया। सीला न होने पाया। यह सीलाको अच्छा नहीं लगा। उसने पाम्पीको भला बुरा कहा। परन्तु पाम्पीने अतिशय मर्मभेदक उत्तर देकर सीलाको चुप कर दिया। उसने कहा कि लोकमें अस्ताचलपर आरूढ़ होते हुए सूर्य की अपेक्षा उदयाचलपर आरूढ़ होते हुए सूर्यकी पूजा बहुत मनुष्य करते हैं।

डेसिमस ब्रूटस[१]ने जूलियस सीज़रको इतना वशीभूतकर लिया था कि सीज़रने अपने मृत्युपत्रमें लिखदिया था कि "मेरे भतीजे के अनन्तर मेरी सारी सम्पत्ति का स्वामी ब्रूटसहै"। इसी ब्रूटसने सीज़रको


  1. सीजरने, एक युद्धमें, डेसिमस ब्रूटसको प्राणदान देकर उसे अपना परम मित्र बनाया था। परंतु सीजरके अन्यायको सहन न करके, ब्रूटसने उसे रोमके सीनेर नामक कौंसिलगृहमें मारडाला। ब्रूटसने, ईसवी सन् के ४२ वर्ष पहले सीजरके मित्र अंटोनियस द्वारा निधन पाया।