पृष्ठ:बेकन-विचाररत्नावली.djvu/१०४

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मैत्री।

प्लाटियानस के मध्य अनुचित व्यवहार होते देख, सेप्टीमिस सेबिरस प्लाटियानसही का पक्ष लेताथा। सेप्टीमिस सेविरसने रोमकी सेनेट सभा को यहांतक लिखाथा, कि "प्लाटियानसको मैं इतना प्यार करताहूं कि मेरी यह इच्छा है, कि उसके पहलेही मेरा मरण आवे"।

ऊपर जिनका वर्णन कियागया है वे राजा यदि ट्राजन[१] अथवा मारकस आरेलियस के समान होते, तो यह कह सकतेथे, कि अतिशय सौशील्य और सुस्वभाव के कारण, इस प्रकार की मैत्री होगई होगी। परन्तु वे इतने बुद्धिमान, इतने दृढ निश्चय वाले, और इतने स्वाभिमानी थे, कि उस प्रकार का तर्क होही नहीं सकता। अतः यह बात स्पष्ट है, कि यद्यपि उनको सुखकी सारी सामग्री प्रस्तुत थी, तथापि बिना मित्र के वह सब उनको आधी ही जान पड़ती थी; एक मित्र के बिना उससे उन्हैं पूरा पूरा आनन्द नहीं मिलता था। सबसे अधिक ध्यानमें रखने योग्य बात तो यह है कि इन राजाओं के स्त्री, पुत्र, भाई, भतीजे सब होकर भी उनसे इनको मैत्री का सुख नहीं मिलताथा।

फ्रांस के इतिहासकार कोमीनियस ने एक बात लिख रक्खी है; वह स्मरण रखने योग्य है। उसका कथन है, कि उसका स्वामी ड्यूक चार्लस दि हार्डी-अपनी गुप्त बातैं किसीसेभी न कहता था; तिसपर ऐसे रहस्य जो उसे अतिशय त्रासदायक थे उनका मर्म तो वह कदापि मुखसे बाहरही नहीं होने देता था। इस संकोचवृत्ति का परिणाम यह हुआ, कि उत्तर वयमें, उसकी विचार शक्ति दुर्बल होगई; दुर्बलही नहीं किन्तु कुछ कुछ नष्ट भी होगई। कोमी


  1. ट्राजन और मारकस आरेलियस ये दोनों रोम में परम दयालु, परमोदार और परम यशस्वी राजा होगेयेहैं। मारकस आरेलियस को तो रोमन लोगों ने देवता माना है।