लार्ड बेकन का जन्म, लण्डन नगर में, २२ जनवरी सन् १५६१ ई॰ को हुआ। १३ वर्षके वयमें बेकनने ट्रीनिटी कालेज में प्रवेश किया। वहां वह थोड़ेही दिन रह सका; उसको उस समय की शिक्षण-पद्धति पसन्द नहीं आई। कालेज छोड़ने पर बेकन ने फ्रांस, इटली, इत्यादि देशोंमें पर्य्यटन करनेके लिए प्रस्थान किया और कई वर्षतक वहीं घूमता रहा। बेकन विदेशहीमें था जब उसको उसके पिताके मरने का समाचार मिला। इस समाचार को सुनकर वह इङ्गलैण्ड को लौट आया।
स्वदेशमें आकर बेकन ने कानून का अभ्यास किया और कुछ दिन तक वह विकालत करता रहा। परन्तु २६ वर्षके वयमें विकालत छोड़कर वह सरकारी नौकरी करने लगा। सरकारी नौकरी उसको यहांतक फलप्रद हुई कि सन् १६१२ ई॰ में वह मुख्य न्यायाधीशके पदपर नियुक्त किया गया। जिस समय बेकन इस पदपर था, उस समय, उसको उत्कोच लेने का अपराध लगाया गया, जिसे उसने स्वयं स्वीकारभी करलिया। इस लिए उसको दंड मिला; परन्तु राजाकी उसपर विशेष कृपाथी, अतएव पीछे से उसका अपराध क्षमा कर दियागया। बेकनकी अलौकिक विद्वत्तामें यह एक धब्बा लगगया है। इससे यह बात सिद्ध होती है, कि विद्वान् भी कभी कभी नीतिपराङ्मुख होजाते हैं।
बेकनकी माता एक विदुषी स्त्रीथी। उसके संसर्गसे बेकन को लड़कपनहीसे विद्याकी विशेष आभिरुचि होगई थी। बेकनकी विद्वत्ता अद्वितीयथी। दर्शनशास्त्र की ओर उसकी विशेष प्रवृत्ति थी। तत्त्वज्ञानसम्बन्धी विचारोंने, इस समय अंगरेजीमें