जो रूप धारण किया है, वह बेकनहीकी विशाल प्रतिभाका फल है। "इन्डक्लिव फिलासफी" का अङ्कुर यदि बेकन न जमाता तो उस विज्ञानको एतादृश रूपान्तर कदापि न प्राप्त होता। बेकनने विज्ञान सम्बन्धी कई उत्तमोत्तम ग्रन्थ लिखे हैं। उसकी मृत्यु सन् १६२८ ई॰ में हुई।
अपने वयके ३७ वें वर्षमें बेकनने प्रथमही प्रथम अपने 'निबन्ध' प्रकाशित किए। ये निबन्ध लोगोंको इतने अच्छे लगे कि, बेकनके जीवन कालहीमें इनका अनुवाद लैटिन, फ्रेंच, इटालियन इत्यादि भाषाओंमें होगया। अंगरेज विद्वान् इन निबन्धोंको बहुत आदरदृष्टि से देखते हैं और बेकनके कथनका समय समयपर, वार्त्तालाप करनेमें, दृष्टान्त दिया करते हैं। इन निबन्धोंकी उपयोगिता और श्रेष्ठताका अनुमान इतनेहींसे करना चाहिए कि ये इलाहाबादयूनीवरसिटीके यम० ए० कोर्समें हैं।
बेकनको जैसे जैसे विचार सूझते गए हैं, वैसेही वैसे वह लिखता गया है। प्रत्येक विषयका, एकहीसाथ, साद्यन्त विवेचन उसने नहीं किया। इसीसे इन निबन्धोंके आरम्भ और समाप्तिमें पूरी पूरी एकसूत्रता और समता नहीं है। बेकनके विचार बड़े गहन हैं। उसके निबन्ध पढ़नेसे, इस बातका अनुभव पद पद पर होता है।
बेकनने सब ५८ निबन्ध लिखे हैं; उनमेंसे केवल ३६ का हमने अनुवाद किया है; शेष २२ निबन्धोंका विषय बहुशः ऐसा है जो एतद्देशीयजनोंको ताद्दश रोचक नहीं है; इसी लिए हमने उनको छोड़ दिया है। ये निबन्ध जिस भाषामें हैं वह कुछ कुछ प्राचीन अंगरेजी भाषासे मिलती है; अतएव बेकनका आशय समझनेमें कठिनाई पड़ती है। फिर, उसके लिखनेकी