उदाहरणार्थ—रोम का राजा आगस्टस सीज़र, फ्लारेन्स का कास्मस ड्यूक; गास्टन डी फाइक्स इत्यादि। परन्तु यदि वृद्धवय में तारुण्य के समान ओजस्विता और उत्साह हो तो फिर क्या पूछना है? सोने और सुगन्ध कासा मेल समझना चाहिये। तरुण मनुष्य विवेचना की अपेक्षा कल्पना करने में; किसी विषय में उपदेश देने की अपेक्षा कार्य करनेमें; और निश्चित व्यवसायमें लगनकी अपेक्षा नई नई युक्ति निकालनेमें अधिकतर नैपुण्य दिखाते है। प्राचीनोंको काम काज करते करते जो अनुभव आताहै वह अनुभव तत्तत्कार्य करने में नवीनोंका मार्गदर्शक होताहै; परन्तु कोई नई बात उपस्थित होनेपर वृद्धोंके अनुभवका तरुणोंको तादृश उपयोग होना तो दूर रहा उलटा उससे उन्हें वंचित होना पड़ताहै।
तरुण मनुष्यकी भूलसे काम काजका सर्वनाश तक होजाताहै परन्तु वृद्धोंकी भूलका इतनाही परिणाम होताहै कि कार्य कम अथवा विलम्बसे होताहै। बस। तरुण मनुष्य जब किसी व्यवसाय में प्रवृत्त होतेहैं तब जो वे कर नहीं सकते उसमेंभी हस्ताक्षेप करते हैं; शान्त न रहकर निरर्थक चंचलता दिखातेहैं; अपनी सामग्री और क्रम इत्यादि का विचार न करके सहसा आकाश पाताल एक करने लगतेहैं; दो चार बातें जो इधर उधरसे सीखली हैं उन्हींके अनुसार व्यवहार करनेमें व्यग्र होतेहैं; कोई नवीन प्रकरण उपस्थित होने पर उसकी ओर ध्यान नहीं देते जिससे अनेक अज्ञात असुविधा उत्पन्न होतीहैं; और पहलेहीसे प्रचण्ड उपायोंकी योजना आरम्भ कर देते हैं। सबसे बढ़कर आश्चर्य तो यह है कि इतना करकेभी वे अपनी भूल स्वीकार नहीं करते। जैसे नवीन घोड़ा न तो पीछे फिरताहै और न चुपचाप खड़ाही रहताहै वैसेही तरुण जनभी भूल करके न तो उसे मानते हैं और न पीछेही लेते हैं।
वृद्ध जन सभी कामोंमें आपत्ति उत्थान करते हैं; परामर्श करनेमें बहुत काल व्यतीत करदेते हैं; साहसका काम करते डरतेहैं; पश्चात्ताप