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विवाह और अविवाहित्त्व।


सखीका काम देती है और उत्तर वयमें दासीका काम देती है। इसलिये मनुष्य चाहै जिस वयमें विवाह करनेकी इच्छा करै इन बातों मेसे एक न एक उसके लिए विवाह करनेका कारणरूप प्रस्तुतही रहतीहै। थेलिस[१] नामक एक परम चतुर और प्रसिद्ध तत्त्ववेत्तासे जब यह किसीने पूछा कि "विवाह कब करना चाहिए?" तब उसने उत्तर दिया कि "युवाको अभी न करना चाहिए और वृद्धको तो कभी करना ही न चाहिए" यह बहुधा देखने में आया है कि जो लोग बुरे स्वभावके होते हैं उनकी स्त्री बहुत सुशीला होती है। नहीं जानते इसका क्या कारण है? कभी कभी किसी विशेष अवसरपर पतिदेवताकी थोड़ी बहुत कृपा कटाक्ष अपने ऊपर हुई देख उसको अधिक परिमाणमें सम्पादन करनेकी इच्छासे वे विनयसम्पन्नता दिखलाती हैं; अथवा पतिका क्रूर व्यवहार सहन करके भी सुशीलता दिखाना वे भूषण समझती हैं; यथार्थ क्या है नहीं कह सकते। हां, यदि किसी स्त्रीने अपने इष्ट मित्रोंके उपदेशको न सुनकर, हठपूर्वक, किसीके साथ विवाह किया और वह दुःशील निकला, तब वह स्त्री अवश्यमेव उसके साथ सहनशीलता व्यवहार करैगी। उस दशामें अपनी मूर्खताको छिपाने के लिए उसे इस प्रकारका आचरण स्वीकार करनाहीं पड़ेगा।


  1. ग्रीसके ७ चतुर मनुष्योंमेंसे थेलिस भी एक था। इसने ज्योतिष और ज्यामिति शास्त्रमें बड़ी पारंगतता प्राप्तकीथी। इसने विवाह नहीं किया। जब जब इसकी मा इससे विवाह करने को कहतीथी तब तब वह यही उत्तर देताथा कि अभी मेरा वय विवाह करनेके योग्य नहीं। आधिक वयस्क होनेपर जब यह प्रश्न फिर उससे किया गया तब उसने कहा कि अब मेरा वय इतना होगया है कि इस समय विवाह करना मूर्खताहै। यह ५६ वर्षका होकर ईसाके ५४८ वर्ष पहिले मृत्युकोप्राप्त हुआ।