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धृष्टता।


अतएव जिसके द्वारा मूर्खता का अंश मोहित होजाताहै वह गुण अधिक प्रभावशाली होताहै।

वक्ताके लिए जैसे अभिनय की आवश्यकता है राजकाजमें उसी प्रकार धृष्टताकी आवश्यकता है। राजप्रकरणमें धृष्टता का प्रभाव सबसे अधिक आश्चर्यजनक है। यदि कोई पूंछे कि इस प्रकरणमें प्रथम गुण कौन है? तो यही उत्तर देना पड़ैगा कि धृष्टता। दुसरा गुण कौन है? वही धृष्टता। तीसरा गुण कौन है? फिर भी वही धृष्टता। यथार्थमें अज्ञान और निर्लज्जताकी धृष्टता कन्या है और अन्यान्य गुणोंकी अपेक्षा उसकी योग्यता बहुतही कम है। तथापि अप्रगल्भ और थोड़े धैर्यके जो लोग हैं-और बहुधा ऐसेही मनुष्यों की संख्या अधिक होती है-उनको वह अवश्यमेव मोहित करलेती है। यही नहीं किन्तु बड़े बड़े चतुर मनुष्योंको भी, जब कभी उनका चित्त द्विविधामें पड़जाता है तब, वह अपने पाशमें फांस लेता है। यही कारण है कि प्रजासत्तात्मक राज्योंमें धृष्ट मनुष्योंने विलक्षण विलक्षण काम किए हैं। परन्तु धृष्टताका प्रभाव राजा तथा राजसभाओंपर कुछ कम पड़ता है। यह भी ध्यानमें रखना चाहिए कि धृष्टमनुष्योंकी पूंछ और प्रशंसा जितनी पहिले होती है उतनी पीछे नहीं होती; क्यों कि, ऐसे लोग कही हुई बातको पूरा करनेमें समर्थ नहीं होते।

शरीरमें औषधोपचार करनेका भाव दिखलानेवाले जैसे अपढ़ भोंदू वैद्य होतेहैं वैसेही राज्यमें भी सुव्यवस्था करनेका भाव दिखलानेवाले साहसी भोंदूहोते हैं। काकतालीयन्यायसे एक दो बार सौभाग्यवश यशस्वी होनपर इन लोगोंका साहस यहांतक बढ़ जाता है कि वह बड़ेसे बड़े काम करनेको भी कमर कसते हैं। परन्तु शास्त्रज्ञान नहोनेके कारण इन लोगोंके मानभङ्गका शीघ्रही अवसर आता है। कोई कोई धृष्ट मनुष्य बहुधा मुहम्मदके सदृश अद्भुत अद्भुत चमत्कार दिखलाने लगते हैं। एकबार मुहम्मदने लोगोंसे यह गप्प हांकी कि "मैं उस पहाड़ीको अपने पास बुलाताहूं और उसके आनेपर मैं