पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/२६४

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नवम अध्याय माहात्म्य, स्तोत्र, धारणी और तन्त्रों का संक्षिप्त परिचय महायान-सूत्र और पुराणों में बड़ा सादृश्य है। जिस तरह पौराणिक-साहित्य में अनेक माहात्म्य और स्तोत्र पाये जाते हैं, उसी तरह महायान-साहित्य में भी इसी प्रकार की रचनाये पायी जाती है। स्वयंभूपुराण, नेपालमाहात्म्य और इसी प्रकार अन्य ग्रन्थों से हम परिचित हैं। स्वयंभू पुराण में नेपाल के तीर्थ-स्थानों की महिमा वर्णित है। यह ग्रन्य पुराना नहीं है। महावस्तु तथा ललित-विस्तर में भी कुछ स्तोत्र पाये जाते हैं। मातृचेट के स्तोत्र का हम पहले उल्लेख कर चुके हैं। तिब्बती अनुवाद में नागार्जुन का चतुःस्तव मिलता है। सुप्रभातम्तव, लोकेश्वर- शतक और परमार्थ नाम संगीति भी प्रसिद्ध है। तारा के लिये अनेक स्तोत्र लिखे गये हैं। ८ वी शताब्दी में इस प्रकार का एक स्तोत्र कश्मीरी कवि सर्वमित्र ने लिखा था। इसका नाम आर्यतारा-सग्धरा स्तोत्र है। धारणी का महायान साहित्य में बड़ा स्थान है | धारणी रक्षा का काम करती है । जो कार्य वैदिक मंत्र करते थे, विशेषकर अथर्ववेद के; वही कार्य बौद्ध धर्म में 'धारणी करती है। सिंहल में श्राज भी कुछ सुन्दर 'सुत्तों से 'परित्त' का काम लेते हैं। इसी प्रकार महायान धर्मानुयायी सूत्रों को मंत्रपदों में परिवर्तित कर देते थे | अल्याक्षरा प्रज्ञापारमिता-सूत्र धारणी का काम करती है | धारणियों में प्रायः बुद्ध, बोधिसत्य और तारानों की प्रार्थना होती है। धारणी के अन्त में कुछ ऐसे अक्षर होते हैं, जिनका कोई अर्थ नहीं होता | धारणी के साथ कुछ अनुष्ठान भी होते हैं। अनावृष्टि, रोग, श्रादि के समय धारणी का प्रयोग होता है। पांच धारणियों का एक संग्रह 'पंच रक्षा' नेगल में अत्यन्त लोकप्रिय है। इनके नाम इस प्रकार है। महाप्रतिसार, महामहलप्रमर्दिनी, महामयूरी, महाशातकर्ता, महा (रक्षा) मन्त्रानु- सारिणी, महामयूरी को विद्या राशी कहते हैं । सर्पदंश तथा अन्य रोगों के लिये इसका प्रयोग करते हैं। हर्ष चरित में इसका उल्लेख है । मन्त्रयान और यजयान महायान की शाखाये हैं। मन्त्रयान में मन्त्रपदो के द्वारा निर्वाण की प्रामि होती है। इन मन्त्रपदों में गुह्य शक्ति होती । बनयान में मन्त्रों द्वारा तथा 'बा' द्वारा निर्वाण का लाभ होता है। शल्य और विज्ञान वतुल्य है और इसलिये उनका विनाश नहीं होता। वज्रयान अद्वैत दर्शन की शिक्षा देता है। सब सच का सत्व है। और एक ही वनसत्व सब जीवों में पाया जाता है।