पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/४४६

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बौद्ध धर्म-दर्शन महाभूत है । चित्त-चैतसिक धर्म चित्त-समुत्थान रूप के सहबात-प्रत्यय है, महाभूत उपादाय रूप के हैं। रूपी धर्म अरूपी धर्मों के कभी सहलात होते है, कभी नहीं । ..न्योन्य-वह धर्म है, जो उत्पाद उपष्टम्भभाव से उपकारक है, यथा- त्रिदण्ड, बो एक दूसरे का उपष्टम्भक है । चार अरूपी स्कन्ध अन्योन्य-प्रत्यय है । चार महाभूत अन्योन्य-प्रत्यय है। ८.निअव:-वह धर्म है, जो अधिष्ठान के श्राकार में उपकार है, यथा-वृक्ष का निश्रय-प्रत्यय पृथ्वी है, चित्र का पट है, चतुरायतन चतुर्विज्ञान-धातु का निश्रय- प्रत्यय है। १. उपनिय-वह धर्म है, जो बलत्कारणभाव से उपकारक है । 'उप' का अर्थ 'भृशम्' है । यह तीन प्रकार का है :-ग्रालंबनोपनिश्रय, अनन्त-रूप-निश्य, प्रकृत्युपनिश्य । १. जिस वालंबन को गुरु कर नित्त-चैतसिक की उत्पत्ति होती है, वह श्रालंबन बलवत् होता है । यथा -- दान देकर, शील का समादान कर, उपोसथ कर्म कर, उसको गुरु समझता है । यह बालेनोपनिभय है। २. पश्चिम चित्त के उत्पादन में पूर्व चित्त की अनन्तरूपनियता है । पूर्व पूर्व कुशल- स्कन्ध पश्रिम पश्चिम कुशल स्कन्धों के अनन्तरूपनिश्रय है। यह बलवत्-प्रत्यय है । ३.प्रकृत्युपनिश्रय वह धर्म है, जो प्रकृतिभाव से उपनिश्य है । अपनी सन्तान में निष्पा. दित श्रद्धा-शीलादि या उपसेषित ऋतु-भोजनादि प्रकृति है, यथा-श्रवा के निश्रय लेकर दान देना, शील का समादान करनाइत्यादि । • पूर्वजात-वह धर्म है, जो प्रथमतर उत्पन्न होकर वर्तमानभाव से उपकारक है, यथा-चक्षुरायतन चतुर्विज्ञान का पुरोजात-प्रत्यय है। ". पश्चात्-जात-वह श्ररूप धर्म है, जो पूर्वजात रूप धर्मों का उपस्तम्भकमाव उपकारक है । पश्चाजात चित्त-चैतसिक धर्म पूर्वजात काय के पश्चाजात-प्रत्यय है। १६. मासेवन -वह धर्म है, जो अनन्तरों का प्रगुणभाव से उपकारक धर्म है। कर्म-चित्त-प्रयोग संख्यात क्रियाभाव से उपकारक धर्म है। चेतना-संप्रयुक्त धर्मों का और तत्समुत्पन्न रूपों का कर्म-प्रत्यय है। " विपाक-निरुत्साह शान्तभाव का उपकारक धर्म है । चार विपाक स्कन्ध श्ररूपी के विपाक-प्रत्यय हैं। १५. महार'-इस काय का कबडोकार अाहार, श्राहार-प्रत्यय है। अरूपी-आहार संप्रयुक्त-धर्मों के प्राहार-प्रत्यय हैं। १६. दविषत्री-पुरुषेन्द्रिय को वर्जित कर शेष २० इन्द्रिय अधिपति रूप से उपकारक हैं। १७.भयान'-यह ध्यानक्श उपकारक धर्म है । 1.मार्ग. मात्र निर्माण के लिए उपकारक है।