पृष्ठ:भट्ट-निबन्धावली.djvu/५४

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। भट्ट-निबन्धावली . चुक जाता है, कोई बात नहीं रहती जिस पर वे अपने गप्य को काम' ' मे लावें तब वे कुछ ऐसी कल्पना किया करते हैं. जिससे दूसरों को, 'बदनाम करें, चीट उड़ावै, किसी का कुछ कलङ्क उद्घाटन करें इत्यादि । चुप उनसे नहीं रहा जाता, कुछ कहना अवश्य- . "मुख्मस्ति च वक्तव्य शतहस्ता हरीतकी"। . मुख मे जीभ ईश्वर ने दी है तो कुछ कहना चाहिये। हॉ सुनिये सौ हाथ की हरे-ऐसे लोग जिन्हें बहुत बकने का अभ्यास हो गया है अपनी वकवाद की जोश मे वह बात कह डालते हैं, जो न कहना चाहिये या जिसे कहकर वे पीछे पछताते हैं। यहाँ तक बेफायदा वश्वाद उन्हें पसन्द आती है कि जब तक मन मानता वक न लें, अघायेंगे नहीं, जैसा स्त्रियों में बहुधा ऐसी होती हैं कि २४ घण्टे में कम से कम ६ घण्टे लड़ न लेंगी उन्हें अन्न न पचेगा। नौवाबो मे किस्सेगो इस किस्म के रहते थे कि दिनभर कहो वकते रहे, उनके किस्से की लर न टूटे। चण्डूखाने में चण्डूबाजों की गप्प मशहूर इई है। इन बकवादियों की भी कई किस्में हैं। कितने तो ऐसे हैं कि उन की कोई सुने या न सुने उनको बक जाने में काम । कितने ऐसे हैं कि उनकी बकबक का किसी ने निरादर किया कि उन्हें क्रोध आ जाता है, बिगड़ बड़े होते हैं । कितने ऐसे हैं कि अपनी बकवाद को रङ्गीन और दिलचस न समझ गुनने वाले को नापसन्दीदा जान चट्ट उसमें कुछ ऐसा ईजाद कर देते हैं कि थोड़ी देर के लिये सबों का ध्यान उस ओर मुखातिब हो जाता है। इसे वे एक हुनर मानते हैं और इस द्वन्द से बात करते हैं कि उनकी सरामर झूठ पात सन लोग सच मान लेते हैं। मोन दयाना अनेक बुराई और क्लेश का कारण है। महाभारत ऐमा सर्वनाशी संग्राम इमी जोम के न दवाने की बदौलत पिया गया। द्रौपदी ने यदि दुर्योधन को 'अन्धे अन्धे होते हैं इस