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पृष्ठ:भट्ट-निबन्धावली.djvu/६५

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उपमा ४६ तलवार खींचे लड़ाई के मैदान में घूमता हुआ यह राजा शत्रु की सेना से यम के समान देख पड़ा। यहाँ किस बात में यम के समान यह साधारण धर्म नहीं कहा गरा इससे यह भी लुप्तोपमा है, इत्यादि इसके अनेक उदाहरण है। पौर सुतीयतिजनं समरान्तरेऽसावन्तःपुरोयति विचित्रचरित्रचंचुः । नारीयते समरलोम्निकुपाणपाणेरालोक्यतस्थचरितानि सपनसेना। भराति विक्रमालोकविकस्वर विलोचनः । कृपाणोदय दोर्दण्डः स सहलायुधोयति । स्वप्नेपि समरेपुरवां विजयश्रीन मुञ्चति । प्रभाव प्रभवकान्त स्वाधीनपतिका यथा ॥ सेयममा सुधारसच्छटा सुपरकपूरशलकिशाहशोः। मनोरथश्रीर्मनसः शरीरिणी प्राणेश्वरी लोचन गोचरङ्गता। ततः कुसुदनाथेन कमिनीगण्वपारडना । नेवानन्दन चन्द्रेण माहेन्दोदिगतलता इन श्लोकों में ऊपर कही भौनि-भौति की उपमा पाई जाती है, रसिक-जन जिन्हें संस्कृत से परिचय है, जान लगे। केवल भाषा जाननेवालों को इस लेख के पढ़ने में अब और असंच होगी इससे उनमे प्रार्थना है कि क्षमा करें और यदि मन लगा के पढ़ेंगे तो निर्ख सकेंगे कि हमारी पार्य-भाषा गार दूमरी दूसरी भाषाओं में क्या शन्तर है। निश्चय जानिये उर्दू-फारसा से शायरों को तया गरजी भाषा के कवियों के ख्याल में ऐसा अद्भुत अनोखी चानुरी कमी नहीं पाई। यद पय ही निराला है, ऐसी किसी का बझी ही नहीं। तुलाई १८ Sanoonam