पृष्ठ:भट्ट निबंधावली भाग 2.djvu/११४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
११६
भट्ट निबन्धावली


जाती है वह यह कि पेड़ों में पैबन्द या कलम, लगाई जाती हैं आदमियों मे वह पैबन्द विलाइती मेम साथ लिये इंगलैंड के लौटे हुये नव शिक्षित युवक जन हैं। खयाल रहे कि इस तरह के कलमी पेड़ों के फल बहुत मधुर और मनोहर होते हैं पर उनकी गुठली में उत्पादिका शक्ति न होने से बीज उनका बोने से उगता नहीं। यह भी उस महामहिम सर्वशक्तिमान् की महिमा बारिध की एक तरंग है नहीं तो हमारी समग्र आर्य जाति इस

"मा पिलंगिनी बाप पिलंग, तिनके लड़के रंग बिरंग"

वाली दोगली नसल से दूषित हो कुछ दिनों में निर्मल हो जाती।

मई; १९०१
 


--------