पृष्ठ:भट्ट निबंधावली भाग 2.djvu/१४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

३५-नई बात की चाह लोगों में क्यों होती है ? पुराना जाता है नया उसकी जगह क्योाता है इसको ठीक उत्तर चाहे जो हो पर यह कह सकते हैं जैसे पृथ्वी की आकर्षण शक्ति के आगे कोई ऊपर को फेकी हुई वस्तु ऊपर को निरावलम्बन न ठहर के नीचे गिर पड़ती है वैसे ही प्राचीन का जाना और नवीनका आना भी एक नियम हो गया है। प्राचीन के जाने का शोक होता है पर साथ ही उसके स्थान मे नवीन के आने का जो हर्ष होता है वह उस प्राचीन के मिट जाने के विषाद को हटा देता है । इसी सिद्धान्त के अनुकूल मनु महाराज का यह वाक्य है "सवंतोजयमन्विच्छेपुत्राविच्छेत्पराभवम्" मनुष्य सब ठौर से अपनी जीत की चाहना रक्खै किन्तु पुत्र से अपनी हारही चाहे इसीलिये कि पुत्र मे नई विच्छित्ति विशेष के आगे हमे कौन पूछेगा। भगवान् विष्णु के छठवें अवतार परशुराम का तेज़ उनके सातवे अवतार श्रीरामचन्द्र के आगे न ठहर सका इसी कारण कि पुराने से नये का गौरव अधिक होता है। रामचन्द्र और अर्जुन प्रभृति , वीर योद्वानों ने बड़े-बड़े युद्धो में जयलाभ किया सही पर ये दोनों भी अन्त मे अपने पुत्र लव और बभ्र वाहन से युद्ध मे हार गये । इसीके अनुसार अंग्रेज़ी के महा कवि पोप की ये दो लाइन है । We call our fathers fools, so wise we grow, Our wiser sons will doubtless think us so हम ऐसे अक्रमन्द हुये कि अपने बाप-दादा आदि पुरुषों को वेव..। का कहते हैं निस्सन्देह हमारे लड़के जो हमसे विशेष बुद्धिमान होंगे । निश्चय हमें भी ऐसा ही बेवकुफ ख्याल करेंगे। एशिया की सभ्यता