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भट्ट निबन्धावली
हमारा परिश्रम सफल हो गया। साध्वी सच्चरित्र स्त्रियो का सुख पति
के सुख में है। पादरी साहब की प्रसन्नता जगत भर को क्रिस्तान कर
डालने में है। सच्चे देशहितैषियो को देश की भलाई मे सुख है।
इत्यादि, सुख को सब लोग कोने अँतरे सब ठौर ढूॅढते फिरते हैं किन्तु
उसके पाने में कृत कार्य हज़ार मे लाख में कही एकही दो होते हैं।
अगस्त १८९६
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