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पृष्ठ:भामिनी विलास.djvu/४७

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विलासः१]
(२७)
भाषाटीकासहितः।

यदि बुध्यते हरिशिशुः स्तनन्धयो।
भविता करेणुपरिशेषिता मही॥५३॥

हे गजशावक! गर्व करके तू इस गिरिगुहा में कदापि संचार न कर (क्योंकि) यदि दुग्धपान करनेवाला सिंहपुत्र जानेगा तो (तुझे मार) पृथ्वी को गजिनीशेष करैगा अर्थात् पृथ्वी में गजिनीही रह जायगी तू नहीं (बड़े शौर्यवान शत्रुपुत्र के देश में प्रवेश की इच्छा करने वाले राजा के बालक को उपदेश है)

निसर्गादारामे तरुकुलसमारोपसुकृती।
कृती मालाकारो बकुलमपि कुत्रापि निदधे॥
इदं को जानीते यदयमिह कोणान्तरगतो।
जगज्जालं कर्ता कुसुमभरसौरभ्यभरितम्॥५४॥

वृक्षौं के लगाने में परम कुशल, पुण्यवान, माली ने सहज स्वभाव से वाटिका में कहीं (बिना विचारे) बकुलको स्थापन किया, परंतु यह किसको विदित था कि यह एक कोने में लगा हुआ बकुल का पेड अपने पुष्पों की सौरभ से संसार को परिपूरित करैगा (विद्वानों का सभा में यदि आदर भी न हुआ और योग्य आसन भी न मिला तो भी समय पाकर वह अपने गुणों का प्रकाश करते ही हैं)

यस्मिन् वेल्लति सर्वतः परिचलत्कल्लोलकोलाहलै।