पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१०२

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और गंगा के उत्तर में बढ़ते बढ़ते पूर्व की ओर गये थे उसी भांति तुर्कों अफ़ग़ानों और ईरानियों ने इस समय सिंधु नदी से चलकर पूर्व की ओर जाकर दिल्ली अवध बिहार और बंगाले के सूबों को आधीन किया। १२०६ ई॰ में कुतुबुद्दीन दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा और उसी दिन से धीरे धीरे सारा भारत मुसलमानों के राज में आ गया। बहुत से मनचले ईरानी और तुर्किस्तानी यह सुनकर कि उनके मित्र, देशबन्धु जो भारत गये थे धन सम्पत्ति प्राप्त करके वहीं बस गये हैं अपने देशों को छोड़ भारत में चले आये और अपने भाग्य को परखने लगे। मुसलमान सम्राटों और प्रान्ताधिकारियों ने उनको भूमि आदि देकर बसा लिया। आजकल उत्तरीय भारत में जो बहुत से प्रसिद्ध मुसलमानी वंश हैं इसी प्रकार इस देश में आकर बसे थे। छोटे छोटे मुसलमान सरदार अपने अपने साथियों को लेकर भारत में चारों ओर से निकल पड़े और इसी प्रकार रियासतें बना बैठे। जब तक दिल्ली का सम्राट बीर और बलवान रहा यह लोग उसे कर देते और उसकी सेवकाई का दम भरते रहे। परन्तु जब वह दुर्बल हो गया तो जितने रईस थे सब स्वाधीन बन गये और कोई किसी का आधीन न रहा।


२३—गुलामों का वंश।
(१२०६ ई॰ से १२९० ई॰ तक)

१—इस वंश में ९ बादशाह और एक मलका हुई है। इन सबों ने ८४ वर्ष राज किया। इन में से बहुतों ने बहुत थोड़े दिन राज किया। इन में से पांच अधिक प्रसिद्ध हैं।

२—इस वंश का पहिला बादशाह कुतुबुद्दीन था। यह