का प्रसिद्ध सरदार चंगेज़ ख़ां जो बौद्ध था अपने भयानक और कुरूप सिपाहियों को लेकर मंगोलिया से आंधी की भांति उठा और बहुतसे मुसलमानी राज्यों को उसने परास्त कर लिया। यह सिंधु नदी तक आ गया था और हिन्दुस्थान में भी उतर आता परन्तु अलतमश बुद्धिमान था और चंगेज़ ख़ां ऐसे बलवान बैरी को कब लड़ाई का अवसर देता। उसने एक तुरकिस्तानी सरदार को जो चंगेज़ ख़ां से हार कर उसके पास सहायता की खोज में आया था सहायता देने से इनकार किया, और आई हुई बला भारत से टल गई; यानी चंगेज़ और तुर्क इसपार न आये।
८—रज़िया बेग़म अलतमश की बेटी थी। जब इसका बड़ा भाई रुकनुद्दीन सात महीने राज करने पर राज के योग्य न समझा गया तो रज़िया दिल्ली की मलका हुई। दिल्ली के सिंहासन पर रज़िया के सिवा और कोई रानी नहीं बैठी। अलतमश जब कहीं दूर किसी शत्रु से लड़ने जाता तो दिल्ली का प्रबन्ध रज़िया को सौंप जाता था। वह कहा करता था कि रज़िया का स्वभाव पुरुषों का सा है; यह बीस लड़कों से बढ़कर सुयोग्य है। रज़िया सुल्ताना ने साढ़े तीन बर्ष बड़ी सावधानी और प्रतिष्ठा से राज किया। मुसलमान बीबियों के भांति यह बुरक़ा या नक़ाब कुछ न लगाती थी; मर्दाने बस्त्र पहिन कर नित्य राज-सिंहासन पर विराजती थी; और जो कोई उसके
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