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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१०६

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पास नालिश करने आता था, उससे बोलती और उसकी बात पूंछती थी।

९—लोग अनुमान करते हैं कि यह अपने एक सभासद को बहुत मानती थी; और उसे अपने सेना का सेनापति बना दिया था। यह हबशी था इस कारण रज़िया के अफ़गानी सभासद और सर्दार बहुत बुरा मानने लगे और बाग़ी होकर दंगा करने पर उतारू हुए। रज़िया ने अपने प्राणों के डर से एक सर्दार से ब्याह कर लिया। वह रज़िया की ओर से बहुत लड़ा। परन्तु उसकी हार हो गई। वह और रज़िया दोनों मारे गये।

१०—रज़िया के मरने पर अलतमश का एक और बेटा उसकी जगह राज-गद्दी पर बैठा। इसने कोई दो बरस राज किया होगा कि दर्बार के अफ़गानी अमीरों ने उसे कैद कर लिया और अलतमश के पोते को सिंहासन पर बैठाया। पांच बरस राज करने पर यह भी कैद किया गया। इसके पीछे नासिरुद्दीन जो अलतमश का सब से छोटा बेटा था राज का अधिकारी हुआ। यह बड़ा बुद्धिमान था। इसने ग़यासुद्दीन को जो उसका बहनोई और एक बड़ा रईस था अपना वज़ीर बनाया और उसकी सहायता से बीस बरस राज किया। रज़िया के उन दोनों शक्तिहीन उत्तराधिकारियों के समय में कई राजपूत राजा लोग जो कुतुबुद्दीन और अलतमश से हार मान चुके थे अपना अपना देश फिर दबा बैठ और स्वतन्त्र हो गये। ग़यासुद्दीन ने इन देशों को जीत कर फिर दिल्ली के राज में मिला लिया। मोग़लों ने भी कई बार भारत पर चढ़ाई की पर इसने उनको भी भगा दिया।

११—नासिरुद्दीन बादशाह था, फिर भी वह सूफ़ी फ़कीरों की तरह रहता था। उसकी एकही स्त्री थी, घर में न तो कोई दासी थी और न खाना पकानेवाली थी। बिचारी शुद्ध आचरणवाली