सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
[१०३]


बाहर किया और एक राजपूत को अपना राजा बना लिया। अलाउद्दीन ने अपने भाई अलफखां को बहुत सी सेना देकर गुजरात भेजा।

अलाउद्दीन ख़िलजी।

अलफखां ने फिर से इस देश को मुसलमानी राज में मिला लिया। राजाकी रानी कमलादेवी बड़ी रूपवती थी। उसे क़ैद करके अलफ़खां ने दिल्ली को भेज दिया। यहां अलाउद्दीन ने उससे निकाह करके अपने हरममें रखा। इसके पीछे अलाउद्दीन को मुग़लों का सामना करना पड़ा। पांच बार मुग़ल पञ्जाब में आये और एक बार दिल्ली तक भी जा पहुंचे पर अन्त में मुग़लों की हार हुई और बहुत से मारे गये। इनमें से जो बच रहे वह मुसलमान हो गये और यहीं बस गये।

४—इसके पीछे अलाउद्दीन ने उत्तरीय राजपूत राजाओं के जीतने का बीड़ा उठाया और उनके बहुत से गढ़ और किले ले लिये। इस समय भीमसिंह चित्तौड़ में राज करता था। उसकी रानी सुन्दरता में अद्वितीय थी। अलाउद्दीन ने जो उसकी सुन्दरता की बड़ाई चारों ओर सुनी तो तत्काल ही उससे निकाह करने को जी में ठान लिया। उसने बड़ी भारी सेना लेकर चित्तौड़ पर चढ़ाई की। कई महीने अलाउद्दीन क़िले के सामने पड़ा रहा किन्तु उसे न ले सका। तब उसने भीमसिंह से कहा कि मैं पद्मिनी को देखना चाहता हूं। यदि एक बार तुम उसका मंह मुझे दिखा दो तो मैं सेना सहित लौट जाऊंगा। पहिले तो भीमसिंह ने यह बात स्वीकार न की पर अन्त में