पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१२१

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६—दिल्ली चौपट हो गई। तैमूर पांचही महीने हिन्दुस्थान में रहा था। पर जो जो अत्याचार और उपद्रव उसने और उसके नीचकर्मी तातारी सिपाहियों ने किये, आज तक हिन्दुस्थान के वासियों को नहीं भूले।


२७—हिन्दुस्थान की दशा तैमूर के जाने के पीछे।

(सन् १४०० ई॰ से सन् १५०० ई॰ तक)
(१) सैयद वंश।

(सन् १४१४ ई॰ से सन् १४५० ई॰ तक)

१—तैमूर के हिन्दुस्थान से चले जाने के ३६ बरस पीछे तक दिल्ली की बादशाहत नाममात्र को रह गई। सयद ख़िजिर खां जो पंजाब का हाकिम था बादशाह बन बैठा। इसकी बादशाही दिल्ली शहर और उसके आस पास थोड़ी दूर तक थी। इसने ७ बरस बादशाहत की। इसके पीछे इसका बेटा मुबारक बादशाह हुआ। बारह बरस राज करने के पीछे यह भी मार डाला गया और उसका भतीजा सयद महम्मद सन् १४३३ ई॰ में सिंहासन पर बैठा। इसके समय में मालवे के सुलतान ने दिल्ली पर चढ़ाई की। पंजाब का सूबेदार बहलोल खां लोधी इसकी सहायता को आया। यह भी सन् १४४३ ई॰ में मर गया। और इसका बेटा अलाउद्दीन बादशाह हुआ। परन्तु अलाउद्दीन से राज का प्रबन्ध संभल न सका और उसने अपने आप सूबेदार बहलोल खां को बादशाही का अधिकार दे दिया और अपनी ज़मीन्दारी पर चला गया और वहां २८ बरस सुख से बिताकर परलोक सिधारा।

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