पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१३

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ढांकने लगे; फिर तीर कमान और भाले बना लिये जिन से हिरन मार लिया करते थे। इनके खाने पीने की वस्तु भी अच्छी हो गई जिस से बनमानुसों की अपेक्षा यह लोग मोटे ताज़े और बली भी हो गये। यह लोग मिट्टी की हांडियां बनाते और उनमें साग पात पका लेते थे। कुछ दिन पीछे धातों का काम भी जान गये और उनकी कटारियां और भालों की अनी बनाने लगे। इस समयवाले धात के समय के मनुष्य कहे जाते हैं।

(२) भारतवर्ष की पुरानी जातियां—कोल।

१—इस देश में पहिले जो लोग बसे वह सब जहां तक हम जानते हैं दो ही बड़ी जाति के थे एक कोल दूसरे द्रविड़। कोल वंश उत्तर और मध्य भारत में बसा था और द्रविड़ वंशवाले जो गिनती में बहुत थे देश भर में फैले थे।

२—किसी किसी विद्वान का यह भी मत है कि कोल धात के समयवालों की सन्तान हैं। जसे धात के समयवाले पत्थर के समयवालों से बढ़कर निकले वसे ही धातवालों की सन्तान में जो बली बुद्धिमान और श्रेष्ठ हुए कोल कहलाये। बहुतों का यह मत है कि कोलों का असली घर कहीं और था। वहां से यह लोग उत्तर-पूर्व की राह से हिन्दुस्थान में आये। हम निश्चय करके कह नहीं सकते कि कौन बिचार ठीक है केवल इतना जानते हैं कि प्राचीन काल में यह लोग उत्तर और मध्य भारत में फैले हुए थे।

३—इनके पास ढोर न थे; यह शिकार करके मांस खाते और धरती खोद कर अनाज बोते थे। पहिले इनके पास धरती गोड़ने को लकड़ी के हथियार थे पीछे इन्हों ने लोहे के फाल बना लिये। इनके कुल अलग अलग रहते थे। एक कुल एक गांव में रहता