पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
[१२७]


अभिमानी था चढ़ाई की। कृष्णा नदी के तट पर तालीकोट स्थान में बड़ा भारी युद्ध हुआ। लाखों मारे गये अन्त में मुसलमानों की जीत हुई। विजयनगर का सत्यनाश हो गया। कृष्णा नदी के दक्षिण जितने हिन्दू नायक और पालेकार विजयनगर की ओर से नियुक्ता थे सब अपने अपने इलाक़ों के राजा हो गये।


३१—मुग़ल वंश।

१—मुग़ल और मंगोल एक ही शब्द है।मुग़ल उस देश से आये थे जिसे मंगोलिया कहते हैं और जो मध्य एशिया में चीन और तुर्किस्तान के बीच में है। उस देश को तातार भी कहते हैं। जो लोग उस देश में बसे थे वह समय समय पर अनेक नामों से पुकारे जाते रहे; जैसे सिथियावाले, तूरानी, तातारी। पुराने यूनानी ऐतिहासिक इन को सिथियन लिखते हैं। ईरानी इस देश को तूरान कहते थे। इस कारण यहां के रहनेवालों को तूरानी भी कहते हैं।

२—तुर्किस्तान आर्यों का पुराना निवासस्थान था। समय बीतने पर कुछ मुग़ल या तातारी पहाड़ पार करके तुर्किस्तान में उतर आये और जो आर्य वहां रहते थे उन के साथ रहने सहने लगे। उन्हों ने आर्य स्त्रियों से ब्याह कर लिया। इन्हीं की बोली बोलने लगे और इन के सजातीय बन गये। उस समय में यह लोग तुर्क कहलाते थे; बन बन फिरनेवाले असभ्य तातारियों से भिन्न थे और उन को नीच जानते थे। तुर्क लम्बे और सुन्दर होते थे। कोई कोई लम्बी दाढ़ी रखते थे। तातारियों का डील छोटा नाक चिपटी रंग पीला और मुंह फैला होता था; मुंह पर बाल न होते थे। तातारी मैले थे और बनमानुसों से कुछ ही अच्छे हों तो