पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१३९

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हुमायं ने थोड़े ही दिनों में जौनपूर का इलाका ले लिया और छः महीने के भीतर ही वह सारा देश दिल्ली राज्य में मिलगया जो कुछ काल तक लोधियों के अधिकार में था। दिल्ली और आगरे में लोधियों का बटोरा धन ढेर का ढेर बाबर के हाथ लगा। इस में से कुछ थोड़ा सा बाबर ने रहने दिया और सब अपने सिपाहियों और साथियों में बांट दिया। सिपाहियों को तो जो मिलना था सो मिलगया पर अफ़गानिस्तान, तुर्किस्तान और ईरान में भी स्त्री पुरुष और बच्चों को घर बैठे बाबर ने भेट पहुंचाई।

८—अब बाबर को राजपूतों से लड़ना रहगया। राजपूतों में इस समय चित्तौड़ (उदयपुर) का राजा संग्रामसिंह था जो राना सांगा के नाम से प्रसिद्ध है। इस ने मालवे के पठान बादशाह को परास्त किया था और सारे राजपूत राजा इसे अपना सरदार और सिरताज मानते थे। बाबर आप लिखता है कि राना अद्वितीय बीर था। एक लड़ाई में राना की एक आंख जाती रही थी दूसरी में एक हाथ कट गया था उसकी टांग टूटी हुई थी देह में नीचे से ऊपर तक नेज़े और तलवार के ८० घाव थे। सात राजा और दस सामंत लड़ाई के मैदान में उसके साथ आये। एक दिन वह था कि राना सांगा ने बाबर से कहला भेजा था कि आप आयें और दुष्ट पठान के पंजे से भारत को छुड़ायें। पर वह कब जानता था कि इब्राहीम को जीत कर बाबर भारतवर्ष में मुग़लराज्य स्थापित करेगा। वह यही समझा था कि तैमूर की तरह बाबर भी दिल्ली को लूट पाट कर काबुल चला जायगा और पठानों के नष्ट हो जाने पर राजपूत सारे देश में राज करने लगेंगे।

९—राना सांगा के साथ एक तो इब्राहीम का भाई महम्मद लोधी था जो अपने को भाई का उत्तराधिकारी मान कर बादशाही का दावा करता था, दूसरा हसनखां जो अफ़ग़ान सरदारों का