टापू भारतवर्ष से मिले हुए थे; अब वह सूखा रास्ता समुद्र में डूब गया है।
३—द्रविड़ ढोरों के बड़े बड़े गल्ले रखते थे। उन्हों ने घने बन काटे, धरती साफ़ की और उसमें खेती कियारी का काम शुरू किया। द्रविड़ गांव में रहते थे। गांव में एक मुखिया रहता था जिसकी आज्ञा सब मानते थे; पृथिवी को धरतीमाता कहते और उसे पूजते थे। सांपों और पेड़ों की भी पूजा होती थी।
द्रविड़ अपने देवताओं से भक्ति और प्रीति नहीं करते थे बरन उनसे डरते थे और उनसे यह बिनती करते थे कि तुम हमें दुख न दो। द्रविड़ यह समझते थे कि उनके देवता रक्त पीने से प्रसन्न होते हैं; इसी से वह मुर्गे, बकरे, भैंसे उनको चढ़ाया करते थे।
४—हम यह जानते हैं कि प्राचीन समय में भारतवर्ष के उत्तर और दक्षिण में द्रविड़ों के बड़े बड़े नगर थे। उनमें उनकी बहुत सी जाति और कुल बसते थे। बड़े बड़े प्रान्तों में राजा राज करते थे। मुखिया उनको खेतों की पैदावार का एक भाग देता था। इन्हीं