पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१६५

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इस कारण इसने एक और नगर बसाया और उसका नाम बाप के नाम पर उदयपुर रखा। उदयपुर के राना आज तक न दाढ़ी चढ़ाते हैं न चांदी सोने के बरतनों में बिना पत्ता बिछाये भोजन करते हैं न सेज पर बिना फूस बिछाये सोते हैं। ऐसा अनुमान किया जाता है कि इस वंश में सोलहों आने राजपूती अंश भरा है। राजपूतों का एक यह वंश है जो यह अभिमान करता है कि हमने मुसलमान सम्राटों की आधीनता नहीं की न उनको डोले दिये।

राना प्रताप।

१०—मेवाड़ के राज्य में उदय सिंह का एक और बड़ा दृढ़ गढ़ था। इसका नाम रन्थम्भोर था। राजा सुर्जन यहां का अधिकारी था। उसकी चढ़ाई में भी अकबर को बहुत समय लग गया और अब भी गढ़ के टूटने की कोई आशा न दिखाई दी। राजपूतों की यह रीति थी कि चढ़ाई के दिनों में रात्रि के समय कभी कभी युद्ध बन्द करके दोनों ओर के लोग आपस में मिलते और बातचीत किया करते थे। एक राति को अकबर के सेनापति मानसिंह सुर्जन से भेंट करने को गढ़ में गया और अकबर असाबर्दार का भेस बदल कर उसके साथ गया। सुर्जन ताड़ गया उसने अकबर के हाथ से असा ली और उसको अपनी जगह पर बैठाया। अकबर ने मुस्कारा कर कहा कि राजा सुर्जन अब क्या किया जाय। मानसिंह ने तुरंत कहा कि मेवाड़ के राना का साथ छोड़ दो, गढ़ सम्राट को सौंप दो और उनकी