पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१६६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
[१५८]


आधीनता स्वीकार कर लो। अकबर ने कहा कि जो तुम मुझको अपना सम्राट मानकर मेरी आधीनता स्वीकार करो तो एक क्या पचास रजवाड़ों का अधिकारी बना दूंगा और तुम उनमें राज करना। मानसिंह ने यह भी कहा कि बादशाह ने तुम्हारे साथ कैसा अच्छा व्यवहार किया है और राजपूत राजाओं का कैसा आदर करता है। सुर्जन मान गया और गढ़ की कुंजियां सम्राट को सौंप दीं।

जोधबाई।

११—अकबर ने राजपूत राजाओं की कन्याओं से बिवाह कर लिया और उनके बाप भाइयों को अपनी सेना का अफ़सर बना दिया। अब वह उसके मित्र और नातेदार हो गये। अकबर की एक मलका जयपुर के राजा बिहारीमल की बेटी थी। बिहारीमल का बेटा भगवानदास अकबर के बड़े सेनापतियों में था। भगवानदास का गोद लिया हुआ बेटा मानसिंह एक और बड़ा सुप्रसिद्ध सेनापति हुआ है। अकबर का बड़ा बेटा सलीम इसी स्त्री से था। सलीम बड़ा हुआ तो अकबर ने उसका बिवाह जोधपुर के राजा की कन्या जोधबाई से कर दिया। सात वर्ष के समय में अकबर राजपूताने का मालिक और राना उदयपूर को छोड़कर सब राजपूत राजाओं का सम्राट बन गया।

१२—जब हिन्दू इसके सहायक और आज्ञाकारी बने तो राजपूतों की सहायता से अकबर ने भारत के पठानी राज एक एक करके सब ले लिये। बिहार, बंगाल, उड़ीसा, काशमीर, सिंध,