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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१६९

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इतना ही नहीं, वह साफ़ साफ़ कहता है कि मैंने यह एक पुण्य किया है। जब अकबर ने यह समाचार सुना तो कहा कि सलीम को राज की अभिलाषा थी तो मुझे क्यों न मारा अबुलफ़जल को क्यों मारा?


३६—अकबर (उत्तरार्द्ध)।

१—अकबर का रूप कैसा था? वह कौनसी भाषा बोलता था? अकबर लम्बे डील डौल का था रूपवान पुरुष था उसकी छाती चौड़ी और हाथ लम्बे थे; आंखैं और बाल काले और मुंह गोरा और लाल था परन्तु अवस्था बढ़ने पर सांवला पड़ गया था। यह आधा ईरानी और आधा तुर्क होने के कारण फ़ारसी और तुरकी दोनों भाषाएं बोल सकता था; शरीर का पुष्ट था, घोड़े की सवारी बहुत पसन्द करता था, पैदल चलता था दिन भर में बहुधा तीस चालीस मील की यात्रा करता था, बन्दूक का निशाना लगाने में बड़ा चतुर था। उसके पास बहुत सी बन्दूकें थीं जिनमें से सबके अलग अलग नाम थे। दुरुस्त अन्दाज़ अर्थात ठीक निशाना लगानेवाली बन्दूक़ के बारे में पहिले ही कहा जा चुका है। यह वही बन्दूक़ है जिससे अकबर ने चित्तौड़ में जयमल को मारा था। इस बन्दूक़ से अकबर १९०० जन्तु मारे थे। यह आप दाढ़ी नहीं रखता था और औरों के दाढ़ी देखकर प्रसन्न नहीं होता था। यह गौ मांस और प्याज़ नहीं खाता था। कारण यह था कि उन वस्तुओं से वह घृणा करता था जिनसे उसकी हिन्दू स्त्रियां और हिन्दू मित्र घृणा करते थे। इसी कारण उसने आज्ञा दी थी कि कोई गोहत्या न करे।

२—ज्यों ज्यों आयु बढ़ती जाती थी अकबर का हृदय कोमल होता जाता था। उसे बहुत से युद्ध करने पड़े परन्तु