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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१७३

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सब से बड़े विश्वास पात्र दोनों भाई शेख अबुलफ़ैज़ी और शेख अबलफ़ज़ल थे।

राजा भगवान दास।

फैज़ी अकबर की राजगद्दी के बारहवें बरस उसकी सेवा में आया उसके छः बरस पीछे अबुलफ़ज़ल जो केवल अठारह बरस का था सम्राट के सन्मुख लाया गया और तत्काल राज सभासदों में भरती हो गया। दोनो भाई तनमन से अकबर को चाहते थे और उसी के धर्म में भी थे। अकबर भी उनका बड़ा सम्मान करता था। इस स्नेह और विश्वास के कारण अबुलफ़ज़ल तो जीताही बलिदान हो गया। सलीम इस बात को न देख सकता था कि मेरा पिता किसी दूसरे पर मुझ से अधिक विश्वास करे। जैसे जैसे दिन बीतते गये, डाह की अग्नि उसके हृदय में और अधिक भड़कती गई। अन्त में सलीम ने उसे मरवा ही कर छोड़ा।

७—फ़ैजी बड़ा विद्वान था। संस्कृत और फ़ारसी भाषायें भली भांति जानता था। उसने संस्कृत की बहुत सी पुस्तकों का फ़ारसी में अनुवाद किया है। उसने कविता भी फ़ारसी में बहुत की है और अपने भाई के कार्य्य में भी बहुत सहायता दी। आधी रात का समय था कि अकबर को सूचना मिली कि फ़ैज़ी परलोक सिधारनेवाला है। तत्काल उसके समीप गया और सेज के निकट दोनों घुटनों के बल बैठकर धीरे धीरे फ़ैज़ी के सिर को अपने हाथ से उभारा और कहने लगा कि, हे शेख़ जी, हे मेरे मित्र, आप को