पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१७४

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दिखाने के लिये मैं हकीम साहब को लाया हूं। परन्तु फ़ैज़ी संसार में हो तो बोले। उसकी आत्मा तो परलोक पहुंच चुकी थी अकबर ने पगड़ी सिर से उतार कर फेंक दी और धाड़ मार मार कर रोने लगा।

अबुलफ़जल।

८—अबुलफ़जल अकबर का जन्म का मित्र और बड़ा भारी विद्वान था। वह बड़ा सूर बीर योद्धा और दांव घात का पक्का सेनापति भी था। यह सब से बड़ी सैनिक पदवी को पहुंचा और धीर धीरे प्रधान मंत्री हो गया। अकबरनामा जिसे अकबर के राज का इतिहास कहना चाहिये इसी का लिखा है। उसका एक भाग आईने अकबरी के नाम से प्रसिद्ध है। उसमें केवल व्यवहार ही का बर्णन नहीं है परन्तु उसमें अकबर की राज सभा का पूरा हाल दिया हुआ है। आधीन देशोंका विस्तार के साथ बर्णन किया है। राजके प्रबन्ध की रीति भी दी हुई है। सारांश यह है कि अकबर के राज का बर्णन पूरा पूरा दिया है। अबुलफज़ल अकबर में कोई अवगुण न देखता था इस कारण आरम्भ से अन्त तक सम्राट की प्रशंसा ही प्रशंसा सुनाई देती है।

८—राजा टोडरमल पंजाब प्रान्त का हिन्दू था; इससे पहले बहुत दिनों तक शेरशाह के यहां नौकर रह चुका था; गणितविद्या में बड़ा चतुर था। भूमि के बन्दोबस्त और लगान लेने के नियमों में, राजसभा में कोई भी ऐसा चतुर न था जैसा कि यह था। न केवल वह लगान ही के मामले में निपुण था परन्तु सैनिक विद्या