पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१८२

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नीचे तख़्त पर इजलास करता था जिसमें हीरे और लाल जड़े हुए थे।

सर टामस रो।

कभी कभी बादशाह सर टामस रो को खाने के लिये संग बिठालता था और इतनी शराब पीता था कि नशे में मतवाला हो जाता था। तुजुक जहांगीरी में बादशाह स्वयं लिखता है कि जब मैं जवान था तो दिन भर में बीस प्याली 'मै' (मदिरा) की पिया करता था पर तख़्त पर बैठने के दिन से पांच ही सात प्यालियां पीकर संतुष्ट हो जाता हूं। खाने पर बैठने के समय किसी की क्या मजाल थी कि जबतक बादशाह को नींद न आजाय उठ खड़ा हो। जब सर टामस रो ने भारतवर्ष में व्यापार करने की आज्ञा मांगी तो बादशाह ने उत्तर दिया कि मलका से कहो, वही देश का प्रबंध करती है। इस कारण इस बात की आवश्यकता हुई कि नूरजहां के भाई आसफ़जाह को एक बहुमूल्य जड़ाऊ आभूषण भेंट किया जाय। भेंट देने पर सर टामस का कार्य सिद्ध हो गया, अर्थात् भारतवर्ष में व्यापार करने की आज्ञा मिल गई।

९—जहांगीर के राज में स्थान स्थान पर लड़ाइयां और बग़ावते होती रहीं विशेष कर दखिन में। जहांगीर अपने जीवन चरित में लिखता है कि एक बार कन्नौज में बिद्रोह हुआ और तीस हज़ार बिद्रोही मारे गये; दस हजार के सिर काट कर दिल्ली भेज दिये गये और दस हज़ार पेड़ों पर उल्टे टांगे गये। बादशाह लिखता है कि कोई भी सूबा ऐसा न था जिसमें लगभग पांच लाख बागी मारे न गये हों।