पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१८३

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१०—जहांगीर के चार बेटे थे—खुसरो, पर्वेज़, खुर्रम अथवा शाहजहां, और शह्रयार। इनमें सब से प्यारा शाहजहां था। उसका निकाह नूरजहां की भतीजी के साथ हुआ था। जहां कहीं लड़ाई भिड़ाई होती थी सेना के साथ शाहजहां ही भेजा जाता था। पर नूरजहां की एक बेटी शेर अफ़गन से थी वह शहरयार से ब्याही थी और नूरजहां ने बहुत चाहा कि जहांगीर का शहरयार ही उत्तराधिकारी हो।

११—जहांगीर के अन्तिम समय में खुर्रम ने उसे बहुत दिक़ किया। यह बादशाह बनने का आसरा करते करते थक गया था। इसने शाहजहां की पदवी धारण की और इस बात के उद्योग में लगा कि ज़बर्दस्ती राज का मालिक बन जाय। नूरजहां ने एक शक्तिमान और बहादुर सर्दार महाबत खां को बुलाया कि जहांगीर की रक्षा और सहायता करे। उसने शीघ्र ही शाहजहां को दखिन की ओर भगा दिया पर नूरजहां को चिन्ता हुई कि कदाचित महाबत खां आप बादशाह बनना चाहे इस कारण उसने उसे दर्बार में बुलाया। उसकी इच्छा यह थी कि वह आ जाय तो उसको मरवा डाले पर महाबत खां राजपूतों की एक ज़बर्दस्त सेना अपने संग लाया था। महाबत खां ने देखा कि जहांगीर डेरों में है, वहीं उसको घेर लिया। यह जहांगीर को किसी प्रकार की हानि पहुंचाना नहीं चाहता था। उसको तो अपने प्राण बचाने थे; इस कारण उसने जहांगीर को जाने न दिया और उसका आदर किया।

१२—कुछ दिन पीछे जहांगीर क़ैद से निकला और नूरजहां से जा मिला। अब महाबत खां को अपने प्राण बचाने की पड़ी और वह भाग कर दखिन में शाहजहां से जा मिला। शाहजहां उसके आने से बहुत प्रसन्न हुआ।