पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१८७

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बनवाया। बङ्गाले में भी कम्पनी ने एक छोटी सी कोठी बनवाली। यह कलकत्ते से लगभग २५ मील उत्तर हुगली स्थान में थी।

८—शाहजहां ने दखिन के जीतने के निमित्त बड़ा परिश्रम किया। हम ऊपर लिख चुके हैं कि दस बरस के घोर युद्ध के पीछे अहमदनगर हाथ लगा था। लगभग इतना ही समय बीजापुर के भी पराजित करने में बीता। बीजापुर का सुलतान बड़ी बीरता से लड़ा किन्तु उसे हार माननी पड़ी और उसने एक बड़ा वार्षिक कर देना स्वीकार किया। १६५३ ई॰ में शाहजहां ने अपने तीसरे पुत्र औरङ्गजेब को एक बड़ी सेना के साथ सारे दखिन को जीतने के लिये भेजा। वह अकस्मात गोलकुण्डा की रियासत पर चढ़ गया। वहां के सुलतान को एक बड़ा कर देना पड़ा और उसने अपनी बेटी भी औरङ्गजेब के पुत्र शाहज़ादा मुहम्मद को ब्याह दी। इसके पीछे बीदर का क़िला जीता गया। इस समय बीदर का पहिला बादशाह जिसके साथ संधि की गई थी मर चुका था और दो शाहज़ादियां पृथक् पृथक् राज्य की अधिकारिणी होना चाहती थीं। इस कारण औरङ्गजेब फिर बीजापुर पहुंचा। बीजापुर को घेरनेहीवाला था कि उसे बाप की बीमारी का समाचार मिला और वह हिन्दुस्थान लौट चला आया।

९—इस समय दखिन के लोग बड़ी बुरी दशा में थे। दखिन के बादशाहों ने अपने अपने देश उजाड़ दिये थे कि बैरी की सेना को खाने पीने का भी कष्ट भुगतना पड़े। जो कुछ बचा बचाया था वह मुग़ल सैनिकों ने लूट खसोट लिया। पानी न बरसने के कारण कई बरस तक बड़ा विषम काल पड़ा। इसपर एक बला यह और पड़ी कि सारे देश में महामारी फैल गई और बहुतेरे अभागों को समेट कर ले गई।