पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१८६

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६—शाहजहां ने एक बड़ी मसजिद दिल्ली में बनवाई जिसको जामामसजिद कहते हैं; एक मसजिद आगरे में भी बनवाई जो मोती मसजिद के नाम से प्रसिद्ध है। संसार में कोई पूजागृह इसकी सुन्दरता को नहीं पहुंचता। शाहजहां का सिंहासन भी ऐसा भड़कीला था कि किसी और राजा को मुयस्सर न हुआ होगा।

(रौज़ा) ताजमहल, आगरा।

इस सिंहासन को "तख़्त ताऊस" कहते थे। एशिया भर में इसकी धूम थी। यह नाचते हुए मोर के आकार का बनाया गया था। मोर के पंख जो उठते हुए बनाये गये थे उनमें हीरा माणिक पन्ना और नीलम जड़े हुए थे। इस पर साढ़े छः करोड़ रुपये की लागत लगी थी।

३—शाहजहां के शासन काल में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने पूर्वीय समुद्रतट पर मदरास का स्थान मोल लेकर सेण्ट जार्ज का क़िला