पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/२११

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१७४० ई॰ तक राज क़ाज करता रहा। इसने बड़े बड़े मरहठा सरदारों को आज्ञा दी कि जहां तुम्हारा जी चाहै जाओ और उस देश से चौथ लो। महम्मद शाह ने दिल्ली को बचा रखने के कारण मरहठों को आज्ञा देदी कि दिल्ली के सिवाय जहां चाहो वहां चौथ लो। महम्मद शाह अभी तक नाममात्र मुग़ल राज्य का सम्राट था। इससे मरहठों को अधिकार हो गया कि भारत के हर प्रांत से चौथ लें।

६—उसके समय में मरहठों के पांच बड़े राज बन गये। मरहठों के प्रधान लोगों ने जहां किसी सूबेदार या नवाब को दुर्बल पाया उसे सूबे से निकाल दिया और आप वहां के हाकिम बन गये।

७—महाराष्ट्र अर्थात् मरहठों का प्राचीन देश वहां था जहां अब बम्बई होता है। उसका राजा मरहठों का नाम मात्र राजा था जो सितारे में रहता था पर वास्तव में देश का राजा पेशवा था जो बम्बई से अस्सी मील के लगभग अग्निकोण की ओर पूने में रहा करता था। गुजरात एक मरहठा सरदार के आधीन था जो गायकवाड़ कहलाता था। मालवे में दो राजा थे,—होलकर जिसकी राजधानी इन्दौर थी और सिन्धिया जिसकी ग्वालियर रही बरार और गोंडवाने में जो अबतक मध्यदेश का सूबा कहलाता है भोंसला राजा था। उसकी राजधानी नागपुर थी।

८—यह रियासतैं मौरूसी थीं; अर्थात बाप के पीछे बेटा गद्दी पर बैठता था। इस से यह जाना गया कि महाराष्ट्र के सिवाय मरहठों के चार बड़े बड़े राज और थे। पहिले उन राजों के अधिकारी जो चौथ लेते थे उसे पेशवा के पास भेज देते थे पीछे से उन्हों ने चौथ का भेजना बंद कर दिया। उनमें से