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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/२१२

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तीन राज अब तक हैं। इनके नाम यह हैं गुजरात या बड़ौदा, ग्वालियार, और इन्दौर।

८—मरहठों ने हैदराबाद लेने की बड़ी चेष्टा की परन्तु उनका सब उपाय व्यर्थ रहा। निज़ाम हैदराबाद और मरहठों में बराबर युद्ध होते रहे; मरहठे बराबर चौथ मांगते रहें, निज़ाम ने जहां तक हो सका चौथ नहीं दी।

१०—तीसरा पेशवा बालाजी बाजीराव था। यह अपने बाप और दादा के पीछे सन् १७४० ई॰ से सन् १७६१ ई॰ तक राज करता रहा।

११—औरङ्गजेब की मृत्यु के पचास बरस पीछे तक भारत का हाल वही हो गया था जो किसी समय में पठान बादशाहों के राज में हुआ था अर्थात इसके बीच में कोई ऐसा बली राजा न था जैसा अब है जो प्रजा को डाकुओं से बचाता है और उसके जान और माल की रक्षा करता है। मरहठे डाकुओं के दल के दल देश में फिरते थे; अपने घोड़ों के लिये किसानों की खड़ी खेतियां काट डालते थे और प्रजा को लूटते मारते थे। इस समय में लोग हर गांव के पास पास दृढ़ कोट बनाते थे और चारों ओर कांटों की बाड़ लगाई जाती थी जिसमें कि लुटेरे न घुस आयें। किसान हल जोतने जाते थे तो अपनी तलवार साथ ले जाते थे। ऊंचे मचानों पर रखवारे बैठाये जाते थे जिसमें कि चारों ओर देखते रहैं और जब डाकुओं के आने की धूल उड़ती हुई देखें तो जता दें। हर गांव में एक बड़ा भारी धौंसा रहता था जिसकी धमक एक मील की दूरी पर सुनाई देती थी। जहां डाकू आते दिखाई दिये और धौंसे पर चोट पड़ी लोग उसे सुनते ही खेतों से भागकर गावों के कोट के भीतर चले जाते थे।

१२—रास्ते लुटते थे। इस कारण लोग अपनी रक्षा के निमित्त