पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/२७

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समय कह सकते हैं क्योंकि हिन्दुओं के एक बहुत बड़े ग्रन्थ रामायण में जो घटनायें लिखी हैं वह इसी समय की हैं।

४—जिस रूप में रामायण की पोथी अब देखी जाती है वह बहुत पीछे का रचा है जिसे ब्राह्मणों का समय कह सकते हैं। आजकल दो ग्रन्थ रामायण के नाम से प्रसिद्ध हैं एक वाल्मीकि का बनाया दूसरा तुलसीदास का रचा। इनमें वाल्मीकि का ग्रन्थ बहुत पुराना समझा जाता है। परन्तु जिस समय का हाल इसमें लिखा है उस से बहुत दिन पीछे यह ग्रन्थ रचा गया। जिस समय वाल्मीकि ने यह काव्य रचा था, हिन्दुओं का धर्म उनकी बोल चाल, उनके रीतरसम में बहुत कुछ अदल बदल हो गया था इस से यह कहना कठिन है जिन आचार व्यवहार का बर्णन इस ग्रन्थ में है वह किस समय के हैं। इस की एक कहानी तो पुरानी है। समय समय पर अवसर पाकर और कहानियां जोड़ी गई हैं और इन सब का ऐसे ढंग से वर्णन कर दिया गया है कि सब एक ही समय की जान पड़ें। जिस कथा को हम प्रधान मानते हैं वह निस्सन्देह उन आर्य वंशों और राजाओं से सम्बन्ध रखती हैं जो महाभारत की लड़ाई के पहिले पूर्व और दक्षिण के प्रान्तों को जाकर बसे थे।

५—ऋग्वेद के मन्त्र इसी समय के लिखे भासते हैं और इस समय में उनका वह क्रम ठीक किया गया था जिस क्रम में वह अब देखे जाते हैं। जैसा हम ऊपर लिख चुके हैं कि ऋग्वेद सब से पुराना ग्रन्थ है। इसमें १०२८ मन्त्र हैं और इनमें बहुत से ऐसे हैं जिनको ईसा के १५०० बरस पहिले आर्य ऋषि बना चुके थे। इस प्राचीन काल में पुरोहितों और पुजारियों की कोई अलग जाति न थी। देवताओं को पशु मारकर बलि नहीं दी जाती थी। पूजा में अन्न और सोमरस चढ़ाया जाता था।

६—ज्यों ज्यों आर्य लोग उत्तर हिन्दुस्थान में फैले और देश के