सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/३८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
[३०]

६—आर्यों की बहुत से प्राचीन जातियों और परिवारों के नाम तक मिट गये हैं। यह लोग भारतवर्ष के पुराने निवासियों से लड़े और इन के आपस में भी लड़ाइयां हुईं। महाभारत में उन दो जातियों के नाम दिये हैं जिन में महायुद्ध हुआ था। महाभारत शब्द से महायुद्ध समझना चाहिये जोकि राजा की सन्तान में हुआ था। इस युद्ध का ठीक समय ऊपर कह दिया गया परन्तु महाभारत ग्रन्थ इस से बहुत पीछे रचा गया। इस लड़ाई की कहानियां पहिले योहीं कही जाती थीं। कवि और भाट राजाओं महाराजाओं की सभा में यह कहानियां सुनाया करते थे। बढ़ते बढ़ते यह कहानी बहुत बढ़ गई। समय समय पर इस में बहुत से दृष्टान्त जुड़ते गये। पीछे उस समय में जिसे हम ब्राह्मणों का समय कहते हैं व्यास जीने उन कहानियों को इकट्ठा करके उनका क्रम निश्चित किया और पद्य में रच डाला। यही काव्य अब महाभारत के नाम से प्रसिद्ध है। महाभारत में आर्यों के जिन आचार व्यवहार का वर्णन है उनके विषय में यह कहना कठिन है कि वह महाभारत के समय का ठीक पता देते हैं या नहीं। यह भी निश्चय नहीं हुआ कि इस कहानी में कहां उस ब्राह्मण समय से जोड़ मिलाया गया है जो इस के पीछे आया था और जिसमे आर्यों के बोल चाल और आचार व्यवहार में बहुत कुछ भेद हो गया था।


८—कौरवों और पांडवों की लड़ाई।

१—प्राचीन काल में आर्यों के दो बड़े कुल थे, जिन के नाम आज तक चले आये हैं, पहिला भरत या कुरुवंश जो गंगा नदी की ऊपरी तरेटी में रहता था और जिसकी राजधानी हस्तिनापुर