पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/३७

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भांति नये नये कुल बने जैसे कि पश्चिम के आर्यों में यूरोप जाने से बने थे।

३—इस तरह बहुत से आर्य गंगा की उपजाऊ तरेटियों में जाकर बसे। यहां आने के पीछे भी वह लोग नये नये मन्त्र बनाते गये। और इसी से उन्हों ने इस भूमि का नाम ब्रह्मर्षि देश रक्खा।

४—जान पड़ता है कि इन्हों ने पहिले पहिल यमुना के ऊपरी भाग को पार करके गंगा के ऊपर के भाग में तीन सौ मील तक जीत लिया और यमुना के तीर एक नगर बसाया जिसका नाम अपने बड़े देवता के नाम पर इन्द्रप्रस्थ रक्खा। यह नगर पीछे उत्तरीय हिन्दुस्थान की राजधानी हो गया और दिल्ली के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस से साठ मील की दूरी पर गंगा के ऊपरी भाग में एक और नगर बसाया गया जिसका नाम हस्तिनापुर रक्खा गया। यहां से चल कर बहुतेरे दक्षिण की ओर चल पड़े और प्रायः डेढ़ सौ मील की दूरी पर दो और नगर बसाये। एक आगरा यमुना के तट पर और दूसरा कन्नौज़ जिसको वह कामपिल्य भी कहते थे। गंगा के तट पर इस के आगे जाकर कुछ आगे आर्य लोग उस स्थान पर पहुंचे जहां गंगा और यमुना मिलती हैं। यहां पांचवां नगर बसाया उस का नाम प्रयाग था। अब इस को इलाहाबाद कहते हैं।

५—कुछ लोगों का विचार है कि आर्यों को इस भूमि के विजय करने में प्रायः तीन सौ बरस लगे हुए होंगे। उस समय भी वेद के देवताओं की पूजा होती थी परन्तु आर्यों के आचार व्यवहार में धीरे धीरे अन्तर पड़ता गया। इस तीन सौ बरस के समय को महाभारत का समय कह सकते हैं क्योंकि संस्कृत की बड़ी पोथी महाभारत में जिस लड़ाई का वृतान्त है वह इसी समय में हुई थी।