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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/७२

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धर्म का बड़ा पक्षपाती और विद्या का प्रचारक प्रसिद्ध है—इसको विक्रम भी कहते हैं। यह हिन्दू राजाओं में सब से प्रसिद्ध है; जैसा वीर था वैसाही विद्वान भी था। इसकी सभा में नौ विद्वान ऐसे थे जो उस समय के नौ रत्न कहलाते थे। इनमें सब से बड़ा विद्वान कालिदास था जिसके रचे बड़े प्रसिद्ध ग्रन्थ यह हैं, शकुन्तला, रघुवंश, मेघदूत, कुमारसम्भव; अमरसिंह जिसका बनाया हुआ अमरकोश भारतवर्ष की प्रत्येक पाठशाला में पढ़ाया जाता है; धन्वन्तरि वद्य थे। एक रत्न बररुचि ने उस समय की प्रचलित प्राकृत भाषा का व्याकरण रचा है। पांचवें रत्न प्रसिद्ध ज्योतिषी बराहमिहिर थे। पञ्चतन्त्र की कहानियां विक्रमादित्य ही के समय में लिखी गई थीं पीछे उसका अनुवाद फ़ारसी अरबी और अनेक यूरोपी भाषा में हुआ। विक्रमादित्य के समय की बहुत सी कहानियां आज तक भारत के गांव गांव में कही जाती हैं।

४—विक्रमादित्य के समय में बुद्ध धर्म धीरे धीरे भारतवर्ष में मिट रहा था—कालिदास के ग्रन्थों से जाना जाता है कि शिवालय और ठाकुर द्वारे बहुत थे और उनमें हिन्दुओं के देवताओं की पूजा होती थी। राजा शिवजी की आराधना करता था पर बौद्धों के साथ भी दयालुता का बर्ताव करता था। इसकी सभा के नौ रत्नों में से एक बौद्ध भी था।

(४) हूण।

(४५० ई॰ से ५२८ ई॰ तक)

गुप्त वंश का पराजय उन मङ्गोल जातियों के हाथ से हुआ जो हूण कहलाती थीं और ४५० ई॰ के लगभग पञ्जाब में आकर बस