पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

संगीत शास्त्र। चदिक कालको सभ्यता स्पति है। पारसी लोग अब भी सोमयज्ञ करते हैं और उसमें • एक प्रकारका रस बनाकर पीते हैं। परन्तु वह नशीला नहीं है घरन् कड़वा है । इसके अतिरिक्त इस यातकी और कोई साक्षी मौजूद नहीं कि वैदिक आर्य नशीली वस्तुओंका सेवन । करते थे। कहा जाता है कि वैदिक साहित्यमें एक शब्द 'सुरा' माता है जो एक प्रकारकी हल्ली मदिरा थी। परन्तु यह भी केवल एका आनुमानिक बात है। इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं। प्राचीन भार्या गाना, नाचना और घुड़- दौड़ करना जानते थे और सम्भवतः पासोंके साथ जुआ खेलते थे। वैदिक फालकी राजनीतिक पद्धति अधि- वैदिक काल की कांशमें प्रजातन्त्र थी। वैदिक आर्य लोग राजनीतिक बड़े बड़े नगर नहीं बनाते थे वरन् मायः देहात- में रहते थे। यहुधा गांव एक ही वंशके मनु. प्योंसे भावाद थे। गांवका प्रबंध प्रायः एक पञ्चायतके सिपुर्द होता था। यह पञ्चायत गांवके भिन्न भिन्न परिवारों के मुखियों द्वारा चुनी जाती थी। प्रायः गांव स्वतन्त्र थे और घे अपनेमेसे एकको राजा निर्वाचित करते थे। उसको पदच्युत और कर देनेका भी उनको अधिकार था । इसी प्रकार बहुतले ग्राम मिलकर भी अपना राजा और अपनी राजसभाका निर्वाचन करते थे। इनमेंसे कई राजा परम्परीण भी बन जाते थे। परन्तु . वैदिक कालको राजनीतिक व्यवस्थामें किसी राजाको कानूनके विरुद्ध आचरण करने या अपने अधिकारोंको अन्यायपूर्वक जातिके वृद्धोंकी सभा या पञ्चायतकी आशाओंके विरुद्ध काममें लानेका अधिकार न था। वेदों में बहुतसे मन्त्र ऐसे हैं जिनमें पद्धति । . अलग .