पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१०७

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भारतवर्षका इतिहास यह लिखा है कि राजा किस प्रकारका होना चाहिये। वैदिक साहित्यमें राजाओंके चुनाव और उनको पदच्युत करनेकी रीतियां भी लिखी है। वहां न्याय करने और युद्ध आरम्भ करनेके नियम भी चर्णित है। आर्य-युद्ध-नीतिमें विषाक्त वाणोंका उपयोग निषिद्ध है और न किसीको यह याज्ञा है कि वह शस्त्र छिपाकर किसीपर आघात करे या निहत्ये मनुष्यपर शस्त्र चलाये। उनके नियममें यह भी आक्षा न थी कि जो लोग युद्धमें सम्मिलित नहीं उनकी हत्या की जाय या अन्य रीतियोंसे उन्हें दुःख दिया जाय। सोये हुए और घोर रूपसे भाहत· शत्रुपर प्रहार करना अपराध था। नंगे व्यक्तिपर या जिसके शस्त्र टूट गये हों या जिसका कवच 'खोया गया हो उसपर भी आघात करनेकी आशान थी। ऐसा जान पड़ता है कि गत पांच संहस्र घों में संसारने युद्ध-नीति- में उन्नतिके स्थान अवनति की है। याजकल वे जातियां अपने आपको बहुत ही सभ्य और शिष्ट समझती है जो निहत्थोपर हथियार चलाती है, जो वायुयानोंसे स्त्रियों और बच्चोंतककी हत्या करना अनुचित नहीं समझती, जो जलमग्न नावों द्वारा न लड़नेवाली जातियों और निरपराध मनुष्योंके.जहाज डूयोती हैं और जो विपाक धुएँ से शत्रुकी प्रजाझी अकथनीय हानि करती हैं। प्राचीन आर्योकी ऐसा मालूम होता है कि आय्याँके आने पहले अनार्या लोगोंको नागरिकता बहुखा- नागरिकता। मिक Communel थी। गांधकी मावादी विभाजित न थी और न व्यक्तिगत सम्पत्तिकी प्रथा थी। जो कुछ उत्पन्न होला था या पुरुष जो कुछ बाहरसे उठाकर लाते थे यह आवश्यकतानुसार वांट लिया जाता था । प्राचीन आर्य. -