पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१०९

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co भारतवर्षका इतिहास, 443 जिनमें दूसरे प्रकारकी विद्याओंका उल्लेप है, सूत्रोंके रूप वर्णित हैं। यह कहना बहुत कठिन है कि जो सूत्र इस समर मौजूद हैं वे अपने वर्तमान रूपमें किस समयके यने परन्तु यह यात स्पष्ट है कि उनका मूलाधार वैदिक कालीन है। हिन्दुओंका तत्वज्ञान और तर्कशास्त्र भी सूत्रोंके रूपमें चर्णित है। इनको संस्कृत भाषामें दर्शन कहा गया है। चौथा परिच्छेद आर्योके महाकाव्य। संसारके साहित्यमें महाकाव्योंको ए महाकाव्या विशेष स्थान प्राप्त है। यूरोपके महाका अर्थात् युद्धकी कवितायें-यूनानी महाकवि होमर रचित इरि यड और मोडेसो, स्टालियन कवि होरेस रचित वर्जिल जगत प्रसिद्ध हैं। इसी प्रकार फारसीमें फिरदौसीका शाहनामा वा उच्च कोटिकी पुस्तक है। संस्कृत-साहित्यमें : रामायण में महाभारतको बहुत उच्च स्थान प्राप्त है। उनकी कविता उत्त उनकी भाषा पवित्र और उनके विचार अति निर्मल है, संस्ट साहित्य तो क्या, संसार भरके साहित्यमें ये दोनों ग्रन्थ अद्भु • गिने जाते हैं। यूरोपीय विद्वान महाभारतकी कथाको राम यणकी कथासे प्राचीन मानते हैं, परन्तु हिन्दू-विद्वान महाभारत को पीछेकी रचना मानते हैं। देखिये, साधारणतया कहा