१०४ भारतवर्षका इतिहास तृतीय-गृह्य सूत्र, जिनमें घरेलू सम्बन्धोंका वर्णन है और पारिवारिक कर्तव्य बतलाये गये हैं। हम यहाँ दुसरे और तीसरे प्रकारके सूत्रोंका कुछ संक्षेपकरेंगे। (क) धर्म-सूत्र । धर्म-सूत्रोंमें सबसे प्राचीन सूत्र मनु महाराजके माने जाते हैं। इन्हींसे, किसी पीछेके कालमें, वर्त्त मान मनुस्मृतिकी श्लोकोंमें रचना हुई है। मनुके सूत्रोंके अति. रिक अन्य प्राचीन धर्म-सूत्रोंके नाम ये हैं:-(२) वसिष्ठ-सूत्र, (२) गोतम-सूत्र, (३) यौद्धायन सूत्र, और (४) आपस्तम्भ-सूत्र । इन सूत्रोंके पीछे भिन्न भिन्न स्मृतियाँ पद्यमें लिखी गई। इनमेंसे मनु स्मृतिको छोड़कर, सबसे प्रसिद्ध और प्रामाणिक याज्ञवल्क्य, पराशर और नारद आदिकी स्मृतियाँ हैं। ये स्मृतियाँ हिन्दुओंके धर्म-शास्त्र हैं। आजतक घे.न्यूनाः धिक सभी कानूनी बातों में इनके अनुसार कार्य करते हैं। चार वर्णों का पूर्ण विभाग इन स्मृतियों में है। कहीं कहीं ऐसो अव.. थायें भी लिखी हैं जिनमें मनुष्य अपने वर्णसे गिर जाता है ।. चतुर्वर्णके पारस्परिक संबंधोंका सविस्तर वर्णन दिया गया है। चारों वर्गाके धर्म और कर्तव्य अलग अलग बतलाये गये हैं। राज-धर्म बहुत विस्तारपूर्वक दिया गया है। शासनके जो नियम लिखे हैं उनसे जान पड़ता है कि प्राचीन आर्य लोगोंने पोलीटिकल साहस अर्थात् राजनीतिमें भी बहुत अच्छी उन्नति की थी। अन्य कर्तव्योंके अतिरिक्त राजाके लिये यह आदेश है 'कि अपना राजसदन नगरके मध्य में बनाये । उसके ठीक सामने एक घड़ी शाला हो, जिसमें यह लोगोंसे मिला करे। नगरसे कुछ अन्तरपर दक्षिण दिशामें वह एक बड़ा भवन 'समाके लिये बनावे। वृक्षोंकी रक्षा करे। राजस्वके अतिरिक्त प्रजासे और कुछ न ले, इत्यादि।
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