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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१६५

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मगध राज्य, पढ़े सिकन्दरका आक्रमण कर रहे थे। ईरानके राजाभोंने अपनी राजनीतिक शक्तिको इस अंशतक बढ़ाया कि फारसके साइरस और दारा नामक राजा- ओंके कालमें ईरानी राज्य सिन्ध नदीके किनारोंसे लेकर भूमध्य सागरके किनारोंतक फैला हुभा था और मिश्र भी इसी राज्यमें मिल चुका था। सीरिया भी उनके अधीन था और काकेशस पर्वतमाला तथा कस्पियन के प्रान्त भी उन्हीं के राज्यमें मिले हुए थे। दाराके समय में शाम (मीरिया)के वे सब नगर जिनमें यूनानी वसते थे ईरान-नरेशके अधीन थे । दाराकी सेनामें यूनानियोंकी एक पड़ी संख्या नौकर थी। दाराने धरेस और यूनानके दक्षिण- पूर्वी तरके अनेक द्वीपों और नगरोंको जीत लिया था। ईसासे ४६० वर्ष पूर्व उसने ठेठ यूनानपर धावा किया। , यूनानियों और ईरानियोंके योच मेरोथोनका भारी युद्ध हुआ।. इसमें यूनानियोंको ओत हुई। इसके बाद दाराके पुत्र फैषुसरो (Xerxes ) ने दरे दानियाल (डार्डेनल्स) पर समुद्रको पार करफे यूरोपपर चढ़ाई की । इस अभियानमें पहली लड़ाई घरमा- पुलीके क्षेत्रमें हुई। यूनानियोंने वीरताके थनेक स्मरणीय नमूने दिखलाये । स्पार्टन लोगोंका दल सारेका सारा खेत रहा। परन्तु थरमापुलीको विजय ईरानियोंके हाथ रही। ईरानियोंने घरमापुलीके दरसे लांघकर एपशकी ओर कूच किया। इसी बीचमें पाई लड़ाइयाँ हुई। एयक्षकी भोर कूच करते समय मार्ग- में यूनानियों के अनेक नगरोंने ईरानियोंकी अधीनता स्वीकार को। यूनानियोंने पथक्ष खाली घार दिया और सोलासके स्थान- पर चे ईरानियों के साथ घोर युद्धमें भिड़ गये। इस युद्ध में ईरा- नियोंकी हार हुई, और उनकी समुद्री शक्तिको यहुत हानि पहुंची। , राजा फखुसरो (Xerxes ) वापस आ गया। एक यूनानी सेना-नायक मारडवीसके नेतृत्वमें एक घर्षतक युद्ध