पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१८५

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कौटिल्यका अर्थशास्त्र १५५ नवस्याओंपर अवश्य पड़ा, और फुछ यातोंमें यह प्रभाचं गहरा पड़ा, परन्तु ब्राह्मणोंकी शिक्षा और हिन्दु-शास्त्रोंकी आज्ञाओंका सामान्य प्रभाव कभी नए नहीं हुआ। यहांतक कि जो शासक. बौद्ध और जैन धर्मको मानते थे वे भी ब्राह्मण पण्डितोंका बहुत सम्मान करते हो, और हर प्रकारसे उनकी सहायतापर भरोसा रखते थे। ऐतिहासिक कालकी पहली चार पांच शता- ब्दियोंके वृत्तान्त तीन चार भिन्न भिन्न स्रोतोंसे मालूम होते हैं। क) वौद्ध और जैन ग्रन्योंसे इनफा पर्याप्त भाण्डार मौजूद है और इनका प्रमशः अनुवाद किया जा रहा है। (ख) हिन्दू धर्म-शास्त्रोंसे। (ग) यूनानी पर्यटकों और दूतोंके लिखे हुए वृत्तान्तोंसे । (घ) कौटिल्य ऋषिके अर्थशास्त्रसे। . इनके अतिरिक्त असंख्य सिक्कों और पत्थरों तथा पहाड़ों- परं पाये जानेवाले लेखोंसे बहुतसे वृत्तान्त मालूम होते हैं। स्रोत संख्या (फ) से जो वृत्तान्त मालूम होते हैं उनको अध्यापक हाईस डेविड्जने अपने 'बुधिस्ट इण्डिया' नामके प्रथमें एकत्र किया है। उनका अनुमोदन अव प्रायः पूर्णरूपसे दूसरे स्रोतोंसे हो रहा है। ये वृत्तान्त, बहुत सम्भव है, उस फालके हैं जो चन्द्रगुप्तसे तीन या चार शताब्दी पदलेतकका है। चन्द्रगुप्तके समय वृत्तान्तोंपर अधिक प्रकाश कौटिल्यके अर्थशास्त्र और तत्कालीन तथा उसके पीछेफी अन्य घटनामोंसे पड़ता है। भिन्न भिन्न यूरोपियन लेखकोंने भिन्न भिन्न रीतिसे इस सामग्रीका उपयोग किया है औरअपनी अपनी रचिके मनु- सार उससे परिणाम निकाले हैं। उदाहरणार्थ, जो परिणाम हेवलने निकाले हैं वे कई महत्त्वपूर्ण विषयोंमें विसेंटके परि-