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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२१८

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शुर काण्व और मान्ध्रवंश मौर्यवंशका अन्तिम शासक भी इसी प्रकार मारा गया और पुप्पमित्रने एक नवीन वंशकी नींव डाली पुष्पमित । इस वंशका नाम शुग था। शुङ्गवंशके राज्यके अन्तर्गत वह सारा साम्राज्य नहीं था जो महाराजा अशोकने यनाया था । मिनैण्डरका इस शासन-फालकी प्रसिद्ध घटानायें दो है। एक यह कि सन १५५ ई० पू० से सन् १५३ आक्रमण ई० पू० तकके बीच धावतरके राजाके एक सम्बन्धी मिनेण्डरने जो मौर्यवंशकी समाप्तिपर कावुल और पायको दवा बैठा था भारतपर आक्रमण किया। उसने काठि- यावाड़ और मथुरापर अधिकार करके राजपूताने में मध्यमिकापर चढ़ाई की और वह पाटलीपुरके समीप आ पहुंचा। पुष्पमित्रने उसका सामना करके उसको भगा दिया। विसेंट स्मियकी सम्मतिमें फिसी यूरोपीय सेनापतिकी ओरसे भारतको जीतनेका यह दूसरा उद्योग था। परन्तु इसमें सफलता न हुई इसके पश्चात् सोलहवीं शताब्दीतक फिर किसी यूरोपीय शक्तिने भारतकी ओर मुंह नहीं किया। पुष्पमिरके राज्यत्वकालकी दूसरी घटना उसका अश्वमेध यज्ञ है। प्राचीन कालमें अश्वमेघ यज्ञ करनेका अश्वमेध यज्ञ। अधिकार फेवल चमवती गायोंको हो था। जो राजा यहुतसे राजाओंको अपने अधीन करके महाराजा. घिराज यननेकी प्रतिशा फरता था वह एक सफेद घोड़ा छोड़ता हम वो विषयस्याम भोपशाना समभत। पाम या मानक लिये तैयार नौं कि यामिरामट एरिया दशैका मिष गुपथौ। + एसका पर वासकोरेगामापभियामको फोर। 1 1 1